भविष्य निधि (पीएफ) में सालाना 2.50 लाख रुपए से अधिक अर्जित होने के बाद उस पर मिलने वाले ब्याज पर सरकार टैक्स लगाने जा रही है. यह ऐसे समय में आया है जब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 22) के लिए ब्याज दरों को घटाकर 8.1% कर दिया है।
क्लियर के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता कहते हैं, “यदि किसी वित्तीय वर्ष में पीएफ खाते में जमा योगदान राशि 2.5 लाख रुपए से अधिक हो जाती है तो उस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा.”
दो अलग-अलग खाते बनाए जाएं- सीबीडीटी
सीबीडीटी ने अधिसूचित किया है कि संगठनों को दो अलग-अलग पीएफ खाते बनाए रखने की आवश्यकता है. इनमें से एक कर योग्य योगदान के लिए होगा जबकि दूसरा 1 अप्रैल 2021 से गैर-कर योग्य योगदान के लिए होगा. अर्चित गुप्ता ने कहा, “ईपीएफ में कर योग्य खाते में जमा किए गए योगदान पर मिलने वाला ब्याज पर कर लगाया जाएगा.”
कैसे लगेगा टैक्स, ऐसे समझें
अर्जित गुप्ता ने एक उदाहरण के साथ 2.50 लाख रुपए से अधिक की भविष्य निधि योगदान पर कराधान की व्याख्या की है. उन्होंने कहा कि मान लें कि संजू एक वेतनभोगी कर्मचारी है और वह वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ईपीएफ में 1.5 लाख रुपए और वीपीएफ (वॉलेंटेयरी प्रॉविडेंड फंड) खातों में 1.5 लाख का योगदान करता है. 1 अप्रैल 2021 तक पीएफ खाते में 20 लाख रुपए जमा हैं. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भविष्य निधि खाते में जमा योगदान कुल 3 लाख रुपए है. ऐसे में 2.5 लाख रुपए का ईपीएफ योगदान गैर-कर योग्य खाते में जमा किया जाएगा और 50,000 रुपए कर योग्य खाते में जमा किया जाएगा। 31 मार्च 2022 तक गैर-कर योग्य खाते में शेष राशि ₹22.5 लाख (1 अप्रैल 2021 तक की प्रारंभिक शेष राशि गैर-कर योग्य है), और कर योग्य खाते में ₹50,000 होगी. यानी वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 50,000 रुपए पर संजू को 8.5% का ब्याज देना होगा.
कौन सी कंपनियां ईपीएफओ के दायरे में
जिन कंपनियों के पास 20 से ज्यादा कर्मचारी हैं वह कंपनियां ईपीएफओ के दायरे में आती हैं. इन कंपनियों में काम कर रहे जिन कर्मचारियों की सैलरी 15 हजार रुपए से कम है. निजी कंपनियों के पीएफ को ईपीएफओ मैनेज करता है जबकि सरकारी कर्मचारियों की भविष्य निधि को जीपीएफ मैनेज करता है.