वकालत करने वाले लोगों के पास सरकारी नौकरी हासिल करने का खास मौका होता है. सरकारी वकील के तौर पर वे राज्य या केंद्र सरकार में नौकरी कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें एपीओ परीक्षा देनी होती है. कई बार अनुभव के आधार पर भी सरकारी वकील की नियुक्ति की जाती है (Sarkari Vakil Qualification).
राज्य और केंद्र सरकार में अलग-अलग नामों और पद पर सरकारी वकील नियुक्त किए जाते हैं. केंद्र सरकार के लिए लीगल मुद्दा भारत का महान्यायवादी संभालता है. दूसरी तरफ, राज्य सरकार के वकील को महाधिवक्ता कहा जाता है. अगर आप सरकारी वकील बनना चाहते हैं तो आपको उसके लिए जरूरी योग्यता, परीक्षा और सैलरी (Sarkari Vakil Salary) की पूरी जानकारी होनी चाहिए.
सरकारी वकील कैसे बन सकते हैं?
सरकारी वकील बनने के लिए कानून (लॉ) में स्नातक होना जरूरी है. लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद दो तरह से सरकारी वकील बन सकते हैं-
1- एपीओ परीक्षा (Assistant Prosecution Officer) में सफल होने के बाद उम्मीदवार का चयन सरकारी वकील के तौर पर किया जाता है. राज्य सरकार हर साल अनुभवी वकीलों की नियुक्ति के लिए APO परीक्षा का आयोजन करती है.
2- कुछ वकीलों के अनुभव के आधार पर भी उनकी नियुक्ति सरकारी वकील के तौर पर की जाती है.
इस पैटर्न पर होती है एपीओ परीक्षा
एपीओ परीक्षा (APO Exam) तीन चरणों में आयोजित की जाती है. सभी उम्मीदवारों का इन तीनों चरणों में सफल होना अनिवार्य है-
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims Exam)
मुख्य परीक्षा (Mains Exam)
साक्षात्कार (Interview)
इतने अनुभव पर बन सकते हैं सरकारी वकील
प्रसिद्ध वकील होने के साथ ही उम्मीदवार के पास कम से कम 7 साल का अनुभव हो और उम्र कम से कम 35 वर्ष हो तो सरकारी वकील के तौर पर चयन हो सकता है. इसके लिए राजनीतिक संपर्क भी अच्छा होना चाहिए. सरकार के द्वारा चयनित होने पर सरकार की इच्छानुसार ही सरकारी वकील के पद पर रहा जा सकता है. सरकार बदलने पर नई सरकार उन्हें पद से हटा सकती है.
सरकारी वकील की सैलरी
सरकारी वकील को उनके अनुभव और केस के आधार पर फीस दी जाती है (Sarkari Vakil Salary).