जी-20 का शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया (Indonesia) में होने जा रहा है. पिछले वर्ष नवंबर के महिने में इटली की राजधानी रोम में जी-20 का शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ था. इस बार दुनिया की प्रमुख 20 अर्थव्यवस्थाओं वाले देश इंडोनेशिया में इकट्ठा तो हो रहे हैं लेकिन उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. दुनिया में बढ़ती महंगाई, कोरोना महामारी और यूक्रेन पर मंडराते युद्ध के बादलों (Ukraine conflict) की चुनौती के बीच जूझती वैश्विक अर्थव्यवस्था (global economy) को पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती है.
इंडोनेशिया में ग्रुप 20 देशों के वित्त प्रमुखों की बैठक व्यापक मुद्रास्फीति, युद्ध के खतरे और बीमारी से प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था का सामना करेगी.
फेडरल रिजर्व के फैसले
इस समय पूरी दुनिया लगातार बढ़ती महंगाई से जूझ रही है. अमेरिका में महंगाई की मार ने लोगों को बेहाल कर दिया है. हाल ही में जारी आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो यहां महंगाई ने बीते 40 सालों के नए उच्च स्तर को छू लिया है. अमेरिका में जनवरी में मुद्रास्फीति की दर 12 महीने पहले की तुलना में बढ़कर 7.5 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. ये आंकड़ा इससे पहले फरवरी 1982 में देखने को मिला था. देश में महंगाई फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के फैसले को अर्थव्यवस्था में उधार दरों में बढ़ोत्तरी करने के लिए मजबूर कर रही है.
आपूर्ति में कमी, श्रम की कमी, बहुत कम ब्याज दरें और मजबूत उपभोक्ता खर्च पिछले एक साल में मुद्रास्फीति को तेज (High Inflation) करने के लिए जिम्मेदार हैं. महंगाई के बढ़ने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था (US Economy) पर बुरा असर पड़ने की संभावना है. मुद्रास्फीति की दर कब कम होगी इस बारे में अभी कोई स्पष्ट संकेत नहीं है.
जी-20 के दो अन्य देश अर्जेंटीना (Argentina) और तुर्की (Turkey) में मुद्रास्फीति (inflation) दर 50 प्रतिशत के करीब चल रही है. जापान लंब समय से स्थायी मुद्रास्फीति उत्पन्न करने के लिए संघर्ष कर रहा है. ब्रिटेन में मुद्रास्फीति फिर से तेज हो सकती है.
जी-20 बैठक से जो अच्छी तरह से स्पष्ट हो सकता है कि कई सरकारें कोरोनोवायरस की तुलना में नई चिंताओं से निपटने के लिए आगे बढ़ रही हैं, यहां तक कि महामारी जारी है. भले ही वह पहले की तुलना में कम आक्रामक हो.
ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स कहता है कि यदि श्रम बाजार और सीपीआई (Consumer Price Index-CPI) डेटा मुद्रास्फीति में कमी के कुछ संकेत दिखाना जारी रखते हैं, तो बैंक ऑफ इंग्लैंड मार्च में ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है.
यूक्रेन संकट
यूक्रेन (Ukraine) को लेकर यूरोप में तनाव बढ़ता जा रहा है. इस वजह से रूस और अमेरिका के बीच भी तनाव बढ़ रहा है. अमेरिका ने एक विमान के जरिए बड़ी संख्या में अतिरिक्त जवानों को पोलैंड (Poland) भेजा है. यूक्रेन-रूस के बीच पैदा हो रहे हालात को देखते हुए अमेरिका ने कहा है कि मॉस्को (Moscow) कभी भी पर हमला कर सकता है.
यूक्रेन को रूस ने तीन तरफ से घेरा हुआ है. पिछले कई दिनों से बताया जा रहा है कि एक लाख से ज्यादा रूसी सैनिक सीमा पर तैनात हैं. रूस हर दिन युद्धाभ्यास कर अपनी तैयारी को मजबूत कर रहा है. अमेरिका का कहना है कि रूस की आक्रमण तैयारी पूरी हो चुकी है. अमेरिका लगातार चेतावनी दे रहा है कि बीजिंग ओलंपिक (Beijing Olympics) खत्म होने से पहले रूस यूक्रेन पर आक्रमण कर देगा. वहीं रूस की ओर से कहा जा रहा है कि अमेरिका भय का माहौल बना रहा है.
जी-20 में भारत का पक्ष
पिछले साल सम्पन्न हुई बैठक में भारत ने वैश्विक चुनौतियों के तमाम पहलू सामने रखे थे. भारत ने कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए One Earth- One Health का विजन विश्व के सामने रखा था. भविष्य में ऐसे किसी भी संकट से निपटने के लिए, ये विजन विश्व की बहुत बड़ी ताकत बन सकता है.