Home राष्ट्रीय  महामारी से प्रभावित हुआ रोजगार, सर्विस सेक्‍टर पर सबसे ज्‍यादा असर

 महामारी से प्रभावित हुआ रोजगार, सर्विस सेक्‍टर पर सबसे ज्‍यादा असर

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वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को संसद में Economic Survey 2022 पेश करते हुए कहा कि कोविड 19 महामारी का रोजगार पर काफी असर पड़ा है. सर्विस सेक्‍टर की पीएमआई में भी बड़ी गिरावट आई थी, खासकर ऐसे सेक्‍टर जहां लोग एक-दूसरे के संपर्क आते हैं.

वित्‍तमंत्री ने कहा, सर्विस सेक्‍टर देश के रोजगार में करीब 60 फीसदी हिस्‍सेदारी निभाता है और निर्यात क्षेत्र में भी सर्विस सेक्‍टर की बड़ी भूमिका है. महामारी ने खासकर ऐसे क्षेत्रों को ज्‍यादा प्रभावित किया, जिसमें लोग एक-दूसरे के संपर्क में आते थे. होटल, विमानन जैसे सेक्‍टर में रोजगार पर काफी असर दिखा. अब हमारा फोकस इस सेक्‍टर में और ज्‍यादा रोजगार पैदा करने पर रहेगा. दूसरी लहर के बाद बेरोजगारी दर 15 फीसदी पहुंच गई थी.

आत्‍मनिर्भर भारत अभियान से देश बनेगा दुनिया की फैक्‍टरी
वित्‍तमंत्री ने कहा, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर को बूस्‍ट देने के लिए सरकार ने आत्‍मनिर्भर भारत (Atma Nirbhar Bharat) अभियान शुरू किया है. इसके तहत उत्‍पादन आधारित प्रोत्‍साहन (PLI) जैसी योजना भी लाई गई है. अब हम भारत को दुनिया की फैक्‍टरी बनाने का लक्ष्‍य हासिल करेंगे. उद्योगों को तकनीक और आर्थिक मदद देकर घरेलू उत्‍पादन बढ़ाएंगे. हमारा जोर मेक इन इंडिया के तहत दुनियाभर की कंपनियों को भारत में उत्‍पादन के लिए बुलाना है. इसके लिए कारोबारी सुगमता बढ़ाने के साथ कॉरपोरेट टैक्‍स भी कम किया है. National Statistical Office (NSO) ने 202-22 में इंडस्ट्रियल सेक्‍टर में 11.8 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया है.

चिप की कमी से 169 इंडस्‍ट्रीज पर असर
आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि सेमीकंडक्‍टर यानी चिप की कमी का असर वाहन और इलेक्‍ट्रॉनिक क्षेत्र पर ही नहीं बल्कि 169 इंडस्‍ट्रीज पर दिख रहा है. पूरी दुनिया में चिप की सप्‍लाई चेन गड़बड़ा गई है. इसे देखते हुए मोदी सरकार ने PLI योजना के तहत 76 हजार करोड़ रुपये का प्रोत्‍साहन देने की बात कही है. इसके जरिये 100 घरेलू कंपनियों को मदद दी जाएगी, जिससे 1.35 लाख रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी. सर्वे में कहा गया है कि सेमीकंडक्‍टर बनाने के लिए इंडस्‍ट्री को बड़ी मात्रा में पूंजी चाहिए और योजना शुरू होने में भी 6-9 महीने का समय लगेगा.

सात साल में सबसे ज्‍यादा निवेश
Economic Survey के अनुसार, देश में निवेश की गति तेजी पकड़ रही है और यह कोरोना पूर्व स्‍तर से भी आगे पहुंच चुकी है. Gross Fixed Capital Formation (GFCF) में इस साल 15 फीसदी का तेज उछाल दिख रहा है. सरकार की नीतियों से निजी निवेश और पूंजीगत खर्च लगातार बढ़ रहा है. जीडीपी के अनुपात में मिलने वाला कैपिटल बढ़कर 29.6 फीसदी पहुंच चुका है, जो सात साल का उच्‍चतम स्‍तर भी है.

कर्ज की राशि बढ़ी पर लागत में कमी आई
वित्‍तमंत्री ने Economic Survey में बताया कि महामारी से प्रभावित 2021-22 में केंद्र और राज्‍य सरकारों को अपना खर्च चलाने के लिए बड़ी मात्रा में कर्ज लेना पड़ा. यही कारण रहा कि चालू वित्‍तवर्ष में कुल बाजार उधारी 141 फीसदी से भी ज्‍यादा बढ़ी, लेकिन सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से कर्ज की लागत को कम रखा गया. सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) की मदद से कर्ज की लागत को 5.79 फीसदी तक सीमित रखा गया, जो 17 साल का निचला स्‍तर है.