भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व से एड्स (Aids) को खत्म किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं अच्छी बात है कि देश में एड्स के हर साल सामने आ रहे नए मरीजों का आंकड़ा धीरे-धीरे घट रहा है. हालांकि अभी तक इसको पूरी तरह खत्म किया जाना बाकी है. एक से दूसरे में फैलने वाले इस संक्रामक रोग ने अभी भी कुछ समुदायों को जकड़ा हुआ है. इनमें महिला, पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी शामिल हैं. हालांकि केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले लोगों में एड्स ज्यादा तेजी से फैल रहा है. वहीं महिला सेक्स वर्करों (Female Sex Workers) में यह औसतन कम है.
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर एचआईवी/एड्स एंड एसटीआई 2017-24, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर से मिले आंकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी महामारी में गिरावट आ रही है. हालांकि, अभी भी ऐसे पॉकेट हैं, जहां एचआईवी कुछ प्रमुख जनसंख्या समूहों में केंद्रित है. इनमें महिला सेक्स वर्कर या यौनकर्मी (एफएसडब्ल्यू; 1.56%), ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोग (पीडब्ल्यूआईडी; 6.26%), पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष (एमएसएम; 2.69%) और ट्रांसजेंडर समुदाय में (टीजी; 3.14%) शामिल हैं.