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मीडिया कवरेज पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग का बड़ा प्लान, प्राइवेट एजेंसी से लेगा मदद

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केंद्रीय चुनाव आयोग (Central Election Commission) देश के पांच राज्‍यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर एक एजेंसी को नियुक्‍त करने पर विचार कर रहा है. यह एजेंसी चुनावी प्रक्रियाओं से संबंधित मुद्दों की कवरेज के लिए प्रिंट, टेलीविजन, डिजिटल और सोशल मीडिया स्पेस को ट्रैक और निगरानी करने का काम करेगी. साथ ही एजेंसी अपने निष्कर्षों के आधार पर फीडबैक रिपोर्ट तैयार करेगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह पहली बार है जब चुनाव आयोग, मीडिया कवरेज की निगरानी के लिए एक अलग एजेंसी की नियुक्ति कर रहा है. इस संबंध में एक प्रस्ताव के लिए एक अनुरोध (आरएफपी) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (बीईसीआईएल) द्वारा जारी किया गया है. यह सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है. इस संबंध में योग्य फर्मों से 30 नवंबर तक अपनी बोलियां भेजने को कहा गया है.

आरएफपी के अनुसार, एजेंसी को चुनाव आयोग के कवरेज और विभिन्न राज्यों में चुनाव प्रक्रियाओं पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और विदेशी प्रेस के साथ-साथ सभी प्रमुख प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन मीडिया को बारीकी से ट्रैक करना होगा. इस कवरेज के आधार पर, समाचार रिपोर्टों या राय को पॉजिटिव, नेगेटिव और न्‍यूट्रल में अलग करते हुए, समय-समय पर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार करनी होगी. यह विश्लेषण चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तुत कुछ कीवर्ड्स पर भी आधारित हो सकता है. इसके अतिरिक्त, फर्म को सभी प्लेटफार्मों के लिए एक इंटरैक्टिव डैशबोर्ड बनाने की आवश्यकता होगी, जहां इस तरह की सभी संबंधित सामग्री अपलोड की जाएगी और चुनाव से संबंधित घटनाओं पर रीयल-टाइम नोटिफिकेशन भी डाल सकती है.

ऐसी एजेंसी की जरूरत क्यों है
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अगले साल की पहली छमाही में चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में चुनाव आयोग ने अपने फैसलों और अन्य चुनाव संबंधी मामलों पर प्रतिक्रिया हासिल करने के प्रयास किए हैं. पहले के घटनाक्रम से सबक लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है. चुनावी प्रक्रियाओं के कथित उल्लंघन होने पर आयोग के अपने रुख के लिए उसकी आलोचना की गई थी.

अलग-अलग राज्‍यों से मिले सही खबर
चुनाव आयोग की प्रवक्ता शेफाली सरन ने News18 को बताया कि चुनाव आयोग अब, अपनी खुद की एजेंसी को नियुक्त करना चाहेगा, क्योंकि उसे मौके और खासकर चुनावी राज्यों से समय पर प्रतिक्रिया की जरूरत है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय चैनलों सहित प्रकाशनों या चैनलों की सूची को चुनाव आयोग की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार करने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि चुनाव वाले राज्यों के अनुसार सूची समय-समय पर बदलती रहती है और प्रेस सूचना ब्यूरो की मानक सूची के साथ चुनाव आयोग की आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है.