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रोज 500 किसान ट्रैक्‍टर से संसद जाएंगे, जानिए क्‍या है किसान नेताओं का प्‍लान.

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तीन नए कृषि कानूनों (Agriculture Farmers Bill Protest) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा. आंदोलन के सालभर का होने को लेकर किसान संगठनों ने पूरी तैयारी की है. आंदोलन कर नेतृत्‍व कर रहे संयुक्‍त किसान मोर्चे (Samyukt Kisan Morcha) ने इस दिन देशव्‍यापी आंदोलन की रणनीति तैयार कर की है, जिसके तहत सभी किसानों से 26 नवंबर को दिल्ली मोर्चे पर आंदोलन के एक वर्ष पूरे होने पर बड़ी संख्या में मोर्चों पर इकट्ठा होने और दूर के राज्यों में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन करने को कहा गया है.

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने बताया कि सिंघु मोर्चे पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 26 नवंबर को और उसके बाद दिल्ली मोर्चों पर और पूरे देश में किसान संघर्ष के एक साल पूरे होने को व्यापक रूप से मनाने का फैसला किया गया है. उन्‍होंने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस भी है, जब भारत का संविधान 1949 में संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था. 26 नवंबर को पिछले साल मजदूर वर्ग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हड़ताल का एक वर्ष भी है. 26 नवंबर को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान से दिल्ली के सभी मोर्चों पर भारी भीड़ जुटेगी. एसकेएम के सभी किसान संगठन इस मौके पर किसानों को पूरी ताकत से लामंबद करेंगे. उस दिन वहां विशाल जनसभाएं होंगी. इस संघर्ष में अब तक 650 से अधिक शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी.

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि एसकेएम ने दिल्ली की सीमाओं पर इस संघर्ष की पहली वर्षगांठ के तहत 26 नवंबर को राज्यों की राजधानियों में बड़े पैमाने पर महापंचायतों का आह्वान किया है. ये 26 नवंबर को भारत के सभी राज्यों की राजधानियों में किसानों, श्रमिकों, कर्मचारियों, खेतिहर मजदूरों, महिलाओं, युवाओं और छात्रों की व्यापक भागीदारी के साथ आयोजित किए जा सकते हैं, सिवाय उन राज्यों को छोड़कर जो दिल्ली की सीमाओं पर लामबंद होंगे.
उन्‍होंने कहा कि 29 नवंबर से दिल्ली में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा. एसकेएम ने निर्णय लिया कि 29 नवंबर से संसद के इस सत्र के अंत तक 500 चयनित किसान, राष्ट्रीय राजधानी में विरोध करने के अपने अधिकारों स्थापित करने के लिए, ट्रैक्टर ट्रॉलियों में हर दिन शांतिपूर्ण और पूरे अनुशासन के साथ संसद जाएंगे, ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सके और मांगों को मानने के लिए मजबूर करने के लिए, जिसके लिए देश भर के किसानों ने एक साल से ऐतिहासिक संघर्ष किया है.