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राष्ट्रीय राजनीति पर AAP और TMC का लक्ष्य एक फिर क्यों हैं रास्ते अलग

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दिल्ली (Delhi) में सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Loksabha Election) से पहले देश के सामने राष्ट्रीय आकांक्षाएं पेश कर दी हैं. एक ओर आम आदमी पार्टी जहां साल 2012 में अन्ना हजार के आंदोलन से निकली तो वहीं तृणमूल कांग्रेस साल 1998 में स्थापित हुई. TMC ने खुद को ‘वास्तविक कांग्रेस’ बताया था. पार्टी स्थापित होने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा जनता के समक्ष रख दीं.

राजनीतिक सफर की शुरुआत में ही आप साल 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. पार्टी ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन किया लेकिन वे 49 दिनों के बाद अलग हो गए. साल 2014 के आम चुनावों में पार्टी ने 434 उम्मीदवार खड़े किए हालांकि इनमें से 414 की जमानत जब्त हो गई. दूसरी ओर ममता की अगुआई में टीएमसी 1998 में बंगाल में वामपंथियों को सत्ता से बेदखल करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ स्थापित हुई.
बावजूद इसके कि TMC के पास शुरुआती दौर से ही लोकसभा का प्रतिनिधित्व रहा और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी खुद कई सालों तक सांसद थीं. पार्टी एनडीए और यूपीए दोनों सरकारों का हिस्सा थी. तृणमूल ने कई वर्षों तक राष्ट्रीय विस्तार करने के संकेत नहीं दिए हालांकि इसने मणिपुर और गोवा में कुछ कोशिश जरूर की, लेकिन वह बहुत ज्यादा चर्चा में नहीं रहा. AAP ने दिल्ली में बहुत कम समय में अच्छा प्रदर्शन किया. साल 2015 में भाजपा का विजय रथ रोक दिया और फिर साल 2020 में व्यापक जीत दर्ज की. लेकिन 10 साल से ज्यादा वक्त के बाद भी पार्टी ज्यादातर दिल्ली और पंजाब तक ही सीमित रही है.

क्या है TMC का प्लान?
टीएमसी ने साल 2016 के बाद दिल्ली की ओर रुख करने के संकेत दिए लेकिन ममता ने समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने पर अधिक जोर दिया. इस बार बंगाल में अप्रैल-मई विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी टीएमसी प्रमुख विपक्षी एकता की बात कर रही हैं लेकिन ऐसा लगता है कि वह चाहती हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में पार्टी का विस्तार देखना चाहती हैं.

उनके भतीजे और पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी ने हाल ही में कहा था, ‘हम सभी बीजेपी शासित राज्यों में उनसे मुकाबला करेंगे.. हम वहां जाएंगे और उन्हें हराएंगे.’ इस योजना के साथ हाल के दिनों में टीएमसी ने कांग्रेस के कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया है ताकि पार्टी की राष्ट्रीय मौजूदगी हो.

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संबित पाल ने कहा, ‘आप का गठन एक सामाजिक आंदोलन से हुआ था, जबकि टीएमसी एक पूरी तरह से राजनीतिक दल है. निश्चित तौर पर ममता बनर्जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा है और वह केंद्र सरकारों का भी हिस्सा रही हैं. पहले वह सिर्फ अलग-अलग राज्यों में टीएमसी की मौजूदगी चाहती थीं. अब उनका लक्ष्य स्पष्ट है. वह उन जगहों पर कदम रख रही हैं जहां पार्टी कभी नहीं थी. असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के साथ कुछ राज्यों में सत्ता पर काबिज होना चाहती हैं और साल 2024 में प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं. अभी यह देखना बाकी है कि क्या टीएमसी बंगाल के बाहर अपना असर दिखा पाती है या नहीं. दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल की अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं. हालांकि, वह अपनी सीमाएं जानते हैं इसलिए उनकी पार्टी दिल्ली और पंजाब के बाहर सतर्कता से फैसले लेगी.’

आम आदमी पार्टी कांग्रेस के खिलाफ मुखर
राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी ऊपर से नीचे गई पार्टी है, जिसमें समाज के संपन्न लोग एक साथ हैं, लेकिन टीएमसी का गठन अलग तरह से हुआ और आम आदमी के बीच ममता की स्वीकार्यता है. टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘हम अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के संदर्भ में बहुत गंभीर हैं. हमारा लक्ष्य है. हम अन्य पार्टियों के बारे में नहीं जानते लेकिन हम आगे बढ़ रहे हैं.’ दोनों दल बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ हैं. आप खुले तौर पर उनका विरोध कर रही है जबकि टीएमसी कांग्रेस के मामले में विरोध के सुर और तेज कर देती है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और CM अरविंद केजरीवाल के बीच अच्छे संबंध हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि चुनावी मैदान में एक-दूसरे को बख्शेंगे नहीं. हालांकि क्या वे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को ध्यान में रखते हुए एक साथ आएंगे? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका राजनीति भविष्य कैसा होगा?