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3 साल में बरामद हुआ 63682 मिट्रिक टन चोरी का कोयला, RTI से मिली हैरान कर देने वाली जानकारी

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देश में कोयले की कमी (Coal Crisis) को लेकर बीते कुछ दिन से खासी चर्चाएं हो रही हैं. सोशल मीडिया (Social Media) पर भी तरह-तरह के मीम बनाए जा रहे हैं. लॉकडाउन और ब्लैक आउट (Black Out) की आपस में तुलना की जा रही है. कोयले को लेकर सियासत भी खूब हो रही है. ब्लैक आउट होने पर लोगों को किसी और चीज की फिक्र हो या न हो, लेकिन मोबाइल और लैपटॉप कैसे चार्ज होगा इसे लेकर खूब फनी पोस्ट शेयर की जा रही हैं. लेकिन इन सब से इतर कोयले से जुड़ी कुछ और रोचक जानकारी भी हैं. यह जानकारी न्यूज18 हिंदी की आरटीआई (RTI) और कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) की रिपोर्ट्स में सामने आई हैं.

कोयला मंत्रालय के मुताबिक, 7 कोयला कंपनियों ने 2017-18 में 17602, 2018-19 में 22784 और 2019-20 में 23296 मीट्रिक टन चोरी किया गया कोयला पुलिस की मदद से बरामद किया था. यानी इन तीन वर्षों में 63682 मीट्रिक टन चोरी का कोयला बरामद किया गया.कोयला मंत्रालय के मुताबिक 2017-18 में चोरी के बाद बरामद किए गए 7 कोयला कंपनियों के कोयले की कीमत 7.95 करोड़, 2018-19 में 10.76 करोड़ और 2019-20 में  11.19 करोड़ रुपये थी.आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 60 से 70 लोगों की भीड़ माइंस एरिया में घुस आती है और कोयला चुराकर फरार हो जाती है.माइंस में घुसने वाली भीड़ साइकिल, मोपेड और बाइक से आती है और उसी पर कोयला लादकर फरार हो जाती है. माफिया ट्रक और ट्रेक्टर लेकर आते हैं.कोयला कंपनियों का कहना है कि कोयले की चोरी गुप्त रूप से और चोरी-छिपे होती है, इसलिए उन्हें यह नहीं मालूम हो पाता है कि माइंस से निकाला गया कितना कोयला चोरी हो चुका है. चोरी किए गए कोयले के आंकड़े मंत्रालय के पास नहीं हैं.

कोयला कंपनियों का कहना है कि कोयले की चोरी गुप्त रूप से और चोरी-छिपे होती है, इसलिए उन्हें यह नहीं मालूम हो पाता है कि माइंस से निकाला गया कितना कोयला चोरी हो चुका है. चोरी किए गए कोयले के आंकड़े मंत्रालय के पास नहीं हैं.भारत कोकिंग कोल लिमिटेड ने आरटीआई में जानकारी दी है कि 2010 से लेकर 2020 तक कंपनी ने पश्चिम बंगाल और झारखंड में कोयला माफिया के खिलाफ करीब 30 हजार बार रेड डाली. इतनी ही एफआईआर दर्ज की गईं. 350 कोयला चोर पकड़े गए.भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की 30 हजार रेड में 5 हजार से ज्यादा साइकिल, मोपेड, बाइक, जीप और कर्मिशियल वाहन जब्त किए गए.कोल इंडिया कंपनी की से मिली जानकारी पर जाएं तो अकेले एक कंपनी ने साल 2010-11 में चोरी किया गया 8477 मीट्रिक टन कोयला बरामद किया था.जब एक साल में 17 हजार से 23 हजार मीट्रिक टन तक चोरी हुआ कोयला बरामद किया जा रहा है तो चुराए जाने वाले कोयले के आंकड़े का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.कोयला कंपनी एसईसीएल ने 25 मई 2017 को कोरबा, छत्तीसगढ़ में चुरा गया 52 ट्रेक्टर ट्राली कोयला बरामद किया था.

कोयला डंपिंग की जगह पर फेंसिंग, लाइटिंग के साथ 24 घंटे कड़ी निगरानी की जाती है. एंट्री-एग्जिट और चेक पोस्ट पर कोयले से लदी गाड़ियों के कागजात की अच्छी तरह से जांच की जाती है.सीआईएसएफ और दूसरी सुरक्षा एजेंसी साथ मिलकर बने फ्लाइंग स्क्वायड हर जगह छापेमारी करते हैं. सीआईएसएफ के बड़े अफसरों के साइन होने के बाद ही कोयले से लदी गाड़ियां चेक पोस्ट से पास होती हैं.सभी कोयला कंपनियां 8547 सीसीटीवी का इस्तेमाल हर उस जगह कर रही हैं, जहां कोयला रखा है या फिर कोयले का उठान हो रहा है और गाड़ियां चेक पोस्ट से पास हो रही हैं. साथ ही कोयला ढोने वाली 7934 गाड़ियों में जीपीएस लगाया गया है.