बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन पर ड्रग्स सेवन का आरोप है. नेशनल नारकोटिक्स ब्यूरो यानि एनसीबी ने उन्हें अपनी गिरफ्त में रखा हुआ है. मुंबई से गोवा जाने के दौरान एक क्रूज में एनसीबी के अफसरों ने आर्यन और उनके कुछ साथियों को ड्रग्स का सेवन करते हुए पकड़ा. अभी एनसीबी उन पर मामला फ्रेम करेगी. फिर अदालत में इसकी सुनवाई होगी. भारत में मादक पदार्थों का सेवन गंभीर अपराध है. लेकिन आप कब और कौन सी ड्रग्स ले रहे हैं. कितने समय से ले रहे हैं, कई ऐसी बातें हैं, जिस पर अदालत सजा देने से पहले विचार करती है.
जानते हैं कि देश में ड्रग्स सेवन संबंधी कानून क्या हैं. किस तरह से और कितनी सजा इस मामले में गुनहगार पाए जाने पर होती है.
क्या है एंटी ड्रग्स कानून
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटैंस एक्ट यानी NDPS एक्ट 1985 और NDPS एक्ट 1988 दो मुख्य कानून हैं, जो भारत में ड्रग्स संबंधी मामलों में लागू होते हैं. इस कानून के मुताबिक नारकोटिक ड्रग्स या फिर किसी भी नियंत्रित केमिकल या साइकोट्रॉपिक पदार्थों को बनाना, रखना, बेचना, खरीदना, व्यापार, आयात-निर्यात और इस्तेमाल अपराध की श्रेणी में आता है. सिर्फ मेडिकल या वैज्ञानिक कारणों से विशेष मंज़ूरी के बाद इसका इस्तेमाल संभव है.
कितना गंभीर है ये कानून
प्रतिबंध को तोड़ने वाले व्यक्ति के खिलाफ सर्च, कुर्की और गिरफ्तारी का अधिकार भी NDPS एक्ट देता है. जांच एजेंसी ऐसे मामले में निजी या सार्वजनिक स्थानों पर कार्रवाई कर सकती है.
भारत में क्या है ड्रग्स पर नीति?
भारत के संविधान में आर्टिकल 47 के तहत भी राज्य को ड्रग्स नियंत्रण, रोकथाम के लिए पॉवर हासिल है. ड्रग्स नियंत्रण के तहत 03 श्रेणियों में ड्रग्स की चर्चा वर्तमान कानून में है.
01- एलएसडी, मेथ जैसे साइकोट्रॉपिक पदार्थ
02- चरस, गांजा, अफीम जैसे नारकोटिक पदार्थ
03- मादक पदार्थों के केमिकल मिश्रित पदार्थ, जिसे कंट्रोल सब्सटैंस कहते हैं.
ड्रग्स सूची में कितने पदार्थ हैं प्रतिबंधित
कोकीन से लेकर गांजे तक 225 से ज्यादा साइकोट्रॉपिक और ड्रग्स की सूची है, जो NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित हैं. इनके किसी भी तरह के मिश्रण को अगर आप अपने पास रखते हैं, इस्तेमाल करते हैं या किसी तरह भी इसका व्यापार करते हैं, तो आप कानून तोड़ रहे हैं और ये काम अपराध माना जाता है. इसके लिए सज़ा हो सकती है. हालांकि सज़ा इस पर तय होती है कि आपने कानून कैसे और कितना तोड़ा है.
10 साल तक की हो सकती है सजा
साल 2008 में यह व्यवस्था दी गई थी कि NDPS एक्ट के तहत ड्रग्स रखने के मामले में सज़ा यह देखकर तय होगी कि कितनी मात्रा में ड्रग्स आरोपी के पास पाई गई. यानी एक किलो से कम तक ड्रग्स रखने को व्यावसायिक नहीं माना गया था. निजी इस्तेमाल के लिहाज़ से ड्रग्स मिलने पर आरोपी को 10 साल तक की कैद जबकि कमर्शियल मात्रा में ड्रग्स पजेशन पर 20 साल तक की सख्त कैद तक का प्रावधान है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को बदला है. अब ड्रग्स की मात्रा से सज़ा तय नहीं होगी. बल्कि मामले की गंभीरता और सेवन करने वाले की मंशा देखी जाएगी. इसमें कम से कम 10 साल से लेकर 20 साल तक की सज़ा हो सकती है. साथ में कम से कम 01 लाख रुपये का जुर्माना भी.
क्या मौत की सज़ा मिलती है
कुछ विशेष रूप से गंभीर मामलों में अदालतें स्वविवेक से ड्रग्स कारोबार से जुड़े दोषी को मृत्युदंड तक दे सकती हैं. देश से लेकर विदेशों तक में ऐसी कई सजाएं हो चुकी हैं.
दिसंबर 2007 : मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने गुलाम मलिक को मौत की सज़ा दी, जिसे 2004 में 142 किलोग्राम हशीश के साथ गिरफ्तार किया गया था.
फरवरी 2008 : पहले 1998 में 40 किलोग्राम चरस और फिर साल 2003 में 28 किलोग्राम चरस के साथ गिरफ्तार किए गए ओंकारनाथ काक को अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने मौत की सज़ा दी थी.
फरवरी 2012 : साल 1998 में 1.02 किलो और फिर 2007 में 10 किलो हेरोइन के साथ पकड़े जाने वाले परमजीत सिंह को चंडीगढ़ की ज़िला कोर्ट ने मृत्युदंड दिया था.
देश की कौन सी एजेंसियां इस मामले में दखल देती हैं
अगर आपके पास प्रतिबंधित ड्रग्स पाई जाती है, तो स्थानीय पुलिस से लेकर कई एजेंसियां इसमें दखल दे सकती हैं. ज्यादातर मामलों में स्थानीय पुलिस ही ड्रग्स सेवन करने वालों या इनके अवैध व्यापारियों को पकड़ती है लेकिन फिर इसकी जांच और कार्रवाई का जिम्मा नारकोटिक्स कंट्रोल डिविजन, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स, एनसीबी के साथ ही डीआरआई, सीबीआई, कस्टम कमीशन और बीएसएफ को दे दिया जाता है. कई बार ये एजेंसियां सीधे भी कार्रवाई कर सकती हैं. जैसा कि बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन के मामले में हुआ है, इसमें एनबीसी ने खुद जाल बिछाया. फिर क्रूज पर जब ड्रग्स पार्टी शुरू हुई तो उन्होंने लोगों को पकड़ लिया.