भारतीय रेल ने राजस्व बढ़ाने के नए-नए तरीके ढूंढ़े हैं. कोरोना काल में मेल ओर एक्सप्रेस ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया जा रहा है. ऐसे में स्पेशल ट्रेनों से यात्रा करने वालों को सामान्य से ज्यादा किराया देना पड़ रहा है. इंडियन रेलवे अब इस दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए पैसेंजर ट्रेनों को भी स्पेशल ट्रेन का दर्जा देकर चलाने का फैसला किया है. हालांकि, इन ट्रेनों के किराये पर रेल अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. रांची रेल मंडल ने इसके तहत 1 अक्टूबर से 14 पैसेंजर ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के तौर पर चलाने का फैसला किया है. संभव है कि इन ट्रेनों से यात्रा करने वाले लोगों को अब पहले के मुकाबले ज्यादा किराया देना पड़े. स्पेशल का दर्जा मिलते ही संबंधित ट्रेनों की संख्या के पहले 0 लगा दिया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बोकारो स्टील सिटी-रांची पैसेंजर, रांची-बोकारो स्टील सिटी पैसेंजर, हटिया-राउरकेला पैसेंजर, राउरकेला-हटिया पैसेंजर, टाटानगर-हटिया पैसेंजर, हटिया-टाटा नगर पैसेंजर, रांची-लोहरदगा पैसेंजर, लोहरदगा-रांची पैसेंजर, रांची-टोरी पैसेंजर, टोरी-रांची पैसेंजर, रांची-लोहरदगा पैसेंजर, लोहरदगा-रांची पैसेंजर, रांची-लोहरहरदगा पैसेंजर और लोहरदगा-रांची पैसेंजर को स्पेशल ट्रेन का दर्जा देने का फैसला किया गया है.
गोड्डा से रांची पहुंची पहली ट्रेन
आखिरकार गोड्डा वासियों की वर्षों पुरानी मांग 29 सितंबर को पूरी हो गई. गोड्डा से पहली ट्रेन झारखंड की राजधानी रांची पहुंच गई. ट्रेन सुबह 6.15 बजे रांची पहुंची. तकरीबन 17 घंटे की यात्रा के बाद यह ट्रेन पैसेंजर को लेकर रांची पहुंची. इस मौके पर गोड्डा से प्रदेश की राजधानी पहुंचे यात्रियों ने रेलवे का आभार जताया है. यात्रियों ने बताया कि घर पर ट्रेन चढ़ने के बाद सीधे घर पर उतरे हैं. बता दें कि गोड्डा से रांची के लिए अभी तक कोई सीधी ट्रेन नहीं थी. ऐसे में लोगों को रांची जाने के लिए बस का सहारा लेना पड़ता था. गोड्डा से रांची का बस किराया 600 रुपये है, जबकि ट्रेन का किराया महज 160 रुपये है. साथ ही बस के मुकाबले ट्रेन की यात्रा ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित भी है.