जब से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना ने अपने कदम वापस खींचे हैं. भारत से लेकर दुनिया के कई हिस्सों में युवाओं को आतंकवाद में घसीटने या ब्रेनवाश करके उन्हें शामिल करने की घटनाओं में तेजी आने की आशंका है.
भारत की खुफिया एजेंसियां जैसे कि आईबी और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम इंडिया यानी सर्ट-इन पहले से ज्यादा चौकन्नी हो गई हैं. भारत के दक्षिणी इलाकों से सबसे ज्यादा युवा तालिबान और आईसिस जैसे आतंकवादी संगठनों की ओर से जेहाद करने निकले थे अब ऐसे युवाओं का दोबारा वेरिफिकेशन किया जा रहा है.
काबुल जीतने की खुशी में आतंकवादी रोया
एक नौजवान जिसके हाथ में मशीनगन है लेकिन वो जमीन पर बैठ गया है उसने सिर झुका रखा है वो रो रहा है. उसका दूसरा साथी उसे संभाल रहा है. दरअसल दावा किया जा रहा है कि ये आतंकवादी काबुल जीतने की खुशी की वजह से अपने आंसू नहीं रोक पा रहा. शशि थरूर का कहना है ये आतंकवादी मलयाली बोल रहा है. दक्षिण भारत के राज्य केरल में मलयालम बोली जाती है. पिछले कुछ सालों में केरल समेत दक्षिण के कई राज्यों से 100 से ज्यादा युवा सीमा पार कर आतंकवाद में शामिल हुए हैं.
तो राज की बात ये है कि अब ऐसे लोगों पर नजर रखी जा रही है. इसमें कतई दो मत नहीं कि तालिबान की जीत का जश्न भारत में मौजूद उनके हिमायती बने गुमराह नौजवान शिद्दत से मना रहे हैं… ज्यादातर गुमराह युवाओं को आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठन अपने अपने पाले में करने की जद्दोजहद में लगे हैं. इंटेलिजेंस ब्यूरो मतलब आईबी ने इन सूचनाओं के बाद सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से भी तकनीकी मदद ली. बाक़ी आईबी की टीमें नज़र रख इस मनोवैज्ञानिक तरीक़े से आतंकी बनाने की साज़िशों पर नज़र रख रहीं हैं.
भारतीय खुफिया एजेंसियां सब पर नजर रख रही हैं
राज की बात ये है कि आईबी के आग्रह पर सर्टीन यानी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम इंडिया ऐसे युवाओं की ऑनलाइन हरकतों का विश्लेषण भी कर रही है. मसलन वो किस वेबसाइट पर जाते हैं. क्या पढ़ते हैं. सोशल मीडिया पर क्या लिखते या कैसी तस्वीरें पोस्ट करते हैं. कितनी देर तक वो ऐसा करते हैं भारतीय खुफिया एजेंसियां सब पर नजर रख रही हैं. जिस तरह का इनपुट आ रहा है, उसे आगे बढ़ा आतंक के इस मनोवैज्ञानिक विस्तार को रोकने की कोशिश कर रहीं हैं.
काबुल एयरपोर्ट पर आईएसआईएस-के की आतंकी वारदात और जिस तरह की खबरें पाकिस्तान से आ रहीं हैं, उसने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. घाटी से लेकर पूरे देश में अस्थिरता फैलाने में नाकाम रहने कोसूँगा नापाक पड़ोसी मनोवैज्ञानिक वारफ़ेयर का जाल बिछाने में लगा है. पाकिस्तानी स्लीपर सेल हिंदुस्तान में अपना जाल फैलाने से बाद नहीं आ रहे रहे हैं. इस काम के लिए उनका सबसे बड़ा हथियार है इंटरनेट. जिसके जरिये वे नौजवानों को गुमराह करते हैं…. कश्मीर के रास्ते सीमा पार करके भारत के 80 नौजवान आईएस में शामिल होने के लिए जा चुके हैं. ये खुलासा गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से हुआ है.
पाकिस्तान की भूमिका का खुलासा
इस्लामिक स्टेट के मॉड्यूल में शामिल होने के लिए 16 युवाओं के खिलाफ नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी की ओर से दायर की गई चार्जशीट में पहली बार तीन ऐसी घटनाओं का जिक्र किया गया है. जिनमें कथित तौर पर ये संदिग्ध पाकिस्तान की ओर से चलाई जा रही वेबसाइट पर जाने और आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की ओर से लिखी सामग्री को पढ़ने के बाद आतंकवाद की ओर गए थे.