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बाढ़ राहत कार्यों में लापरवाही: सरकार ने हटाए श्योपुर के कलेक्टर-एसपी, लोग बेहाल

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) में बाढ़ की तबाही और बर्बादी के बाद राहत कार्यों में हुई लापरवाह की गाज प्रशासनिक अधिकारियों पर गिरी है. सरकार ने रविवार को श्योपुर के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक बदल दिए. प्रदेश में भीषण बाढ़ से हालात बद्तर हैं और पीड़ितों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद कह चुके हैं कि उन्होंने  ऐसी आपदा अपने जीवन में नहीं देखी.

प्रदेश सरकार ने रविवार को श्योपुर कलेक्टर राकेश श्रीवास्तव को हटाकर शिवम वर्मा को चार्ज दिया. वहीं, श्योपुर के एसपी संपत उपाध्याय को हटाकर अनुराग सुजानिया को पदस्थ कर दिया. बताया जाता है कि दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर बाढ़ राहत कार्यों में हुई लापरवाही की वजह से किया गया है.

नरेंद्र सिंह तोमर को भी झेलनी पड़ी नाराजगी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को श्योपुर (Sheopur) शहर में बाढ़ ग्रस्त इलाके का दौरा करते समय नाराज स्थानीय लोगों ने घेर लिया. उनके वाहनों के काफिले पर कथित तौर पर कीचड़ भी फेंका गया. श्योपुर शहर मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित मुरैना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. श्योपुर शहर और जिला इस सप्ताह की शुरुआत में भारी बारिश के कारण बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से लोकसभा सांसद हैं और उन्हें बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है.

दतिया में सिंध नदी फिर उफान पर

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) के दतिया जिले में फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. शिवपुरी के डैम से पानी छोड़े जाने के बाद रविवार को सिंध नदी का जल स्तर एक बार फिर से तेजी से बढ़ा. जिले के लांच इलाके में सिंध नदी का जल स्तर करीब करीब 8 फीट तक बढ़ गया. अगर जल स्तर थोड़ा और बढ़ा तो पानी सड़क के पार निकल जाएगा. इसे लेकर गांववाले फिर डर गए हैं. अंडोरा सहित कुछ गांव के लोग घरों की ओर लौटने लगे थे, लेकिन अब वे चिंता में पड़ गए हैं. जिला प्रशासन बढ़ते जल स्तर को लेकर अलर्ट मोड पर है.

लोगों ने लगाए प्रशासन पर गंभीर आरोप

दूसरी ओर, बाढ़ पीड़ितों ने रविवार को गोराघाट-इंदरगढ़ मार्ग पर जाम लगा दिया. बाढ़ के कारण सुनारी और पाली गांवों के बाढ़ पीड़ित राहत कैम्प में प्रशासन की व्यवस्थाओं से नाराज हो गए. प्रशासन ने इन पीड़ितों के लिए किसी भवन की व्यवस्था न करके मात्र एक टैंट ही लगाया है. अगर बारिश हो गई तो इनके पास भीगने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा. इसके अलावा जिला प्रशासन का कोई अधिकारी राहत कैम्प में नहीं पहुंचा, जिसे ये पीड़ित अपना दर्द सुना सकें. शिविर में जो खाना बंट रहा है वह भी अपर्याप्त है और उसकी गुणवता भी सही नहीं है.