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Interview: ‘वजन बढ़ने से मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा था’- कृति सैनन, ‘मिमी’ में प्रेग्नेंट दिखने के लिए एक्ट्रेस ने किया ये सब

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नेटफ्लिक्स और जियो सिनेमा पर रिलीज को तैयार ‘मिमी’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं कृति सैनन। सरोगेसी के मुद्दे को उठा रही इस फिल्म का दारोमदार कृति के कंधों पर है। फिल्म, सरोगेसी व अन्य मुद्दों पर उन्होंने साझा किए अपने जज्बात…

क्या पूरी फिल्म की जिम्मेदारी लेने के लिए आप हमेशा से तैयार थीं?

मैं ऐसी ही फिल्म तलाश रही थी। ‘बरेली की बर्फी’ मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुई थी, जब मैंने अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर काम किया था। फिर ‘लुका छुपी’ ने अच्छी कमाई की। खुद पर विश्वास और बढ़ गया कि मैं जैसी फिल्में कर रही हूं, वह दर्शकों को अच्छी लग रही हैं। रिस्क लेने का आत्मविश्वास बढ़ गया। जब मेरी परफॉर्मेंस की सराहना हुई तो बतौर एक्टर मुझे बढ़ावा मिला कि अब मैं परफॉर्मेंस वाले किरदार के साथ फिल्म को अपने कंधे पर उठा सकती हूं। ‘मिमी’ की शुरुआती लाइनें सुनते ही मैंने तय कर लिया था कि यह फिल्म करूंगी। सरोगेसी जैसा अहम मुद्दा बैकड्राप में है। ऐसे विषयों पर जब फिल्में बनती हैं, तो कई बार गंभीर हो जाती हैं, लेकिन मुझे लगता है कि गंभीर विषय को अगर हंसी-मजाक में बताया जाए, तो बात जल्दी समझ में आती है। फिल्म में 70 प्रतिशत कॉमेडी है, शेष जरूरी इमोशंस हैं।

सरोगेसी एक बहुत ही निजी च्वाइस है। आपकी इस पर क्या राय है?

अगर किसी जोड़े को बच्चा पैदा करने में दिक्कत आ रही है और वह बच्चा गोद नहीं लेना चाहते हैं तो उनके लिए यह एक खूबसूरत तरीका है। इसके जो नियम है, वह दोनों तरफ से सुरक्षित होने चाहिए। ‘मिमी’ की कहानी 10-12 साल पहले सेट की गई है। हमारी फिल्म इसी विषय पर बनी एक मराठी फिल्म से प्रेरित है।

प्रेग्नेंट दिखने के लिए आपने 15 किलोग्राम वजन भी बढ़ाया है। वजन बढ़ने के बाद किस तरह की दिक्कतें हुईं?

जब दो महीने में 15 किलोग्राम वजन बढ़ जाए, तो उसके लिए आपका शरीर भी तैयार नहीं होता। मुझे कहा गया था कि मैं एक्सरसाइज और योग नहीं कर सकती। वजन बढ़ने से मेरे घुटनों में दर्द रहने लगा था, जमीन पर बैठकर उठने में जोर लगाना पड़ता था। स्टेमिना कम हो गया था, थकान जल्दी हो जाती थी। उसके बाद वजन घटाने में दिक्कत होने लगी, क्योंकि मेरे शरीर को उतना खाना चाहिए था, जिसकी दो महीनों में आदत लग गई थी। गर्भवती नजर आने के लिए मैंने फिल्म में छह, सात, आठ और नौ महीने की आर्टिफिशियल बेली (कृत्रिम पेट) पहनी है। मेरे पास ऑप्शन था कि हल्की फोम वाली बेली पहनूं, लेकिन मुझे पेट का वजन भी महसूस करना था, इसलिए छह किलोग्राम की बेली पहनी। शूटिंग के बाद कमर में दर्द हो जाता था। कुछ शॉट्स में मुझे अपने बढ़े हुए वजन और आर्टिफिशियल बेली के साथ भागना भी था, तो पैरों में दर्द बढ़ गया था।

मां बनने की भावनाओं को महसूस करने में क्या मुश्किलें हुईं?

एक्टिंग खुद ही मुश्किल काम है। हम कलाकार कई बार ऐसे किरदार निभाते हैं, जिसे वास्तविक जीवन में महसूस नहीं किया होता है। तब किरदार की सोच में जाना पड़ता है। कई बार मैं और मेरे निर्देशक एक-एक सीन पर पूरे दिन चर्चा करते थे। मैं ओवर थिंकर हूं। दिमाग लगातार चलाती रहती हूं कि किरदार को निभाने के दूसरे तरीके और क्या हो सकते हैं।

आपकी बहन नूपुर सैनन पर आपके स्टारडम का असर होता है?

यकीनन मेरी इमेज का असर उन पर होता है, जो सही नहीं है। मैं जब इस इंडस्ट्री में आई थी, तो मेरी तुलना किसी से नहीं हुई, लेकिन वह दबाव अब नूपुर पर है। हर किसी का अपना सफर होता है। मैंने तेलुगु फिल्म से अपना सफर शुरू किया था, उन्होंने म्यूजिक वीडियो से किया है। वह मुझसे अलग हैं, उनका सफर भी मुझसे अलग होगा। वह अपने तरीके से अपना सफर तय करना चाहती हैं, जिस पर मुझे गर्व है।

आपका जन्मदिन (27 जुलाई) आने वाला है। बढ़ती उम्र क्या बदलाव लेकर आ रही है? जन्मदिन पर किसके तोहफे का इंतजार होता है?

मेरे लिए उम्र हमेशा से नंबर ही रही है। हां, उम्र के साथ मैं और ज्यादा अनुभवी होती जा रही हूं। काम को लेकर समझ बढ़ती जा रही है। फिलहाल करियर के बेस्ट स्टेज पर हूं। हर लम्हे का मजा ले रही हूं। गिफ्ट के बारे में ज्यादा नहीं सोचती, क्योंकि यह मुझे बहुत ओवररेटेड लगता है। मैं कभी नहीं सोचती कि जन्मदिन पर क्या करना है। मैं परिवार के साथ घर पर रहकर खुश रहती हूं। मैं फैंसी इंसान नहीं हूं, जो बर्थडे पार्टी का आयोजन करे। मुझे अपने नजदीकी लोग अपने करीब चाहिए, जो मुझे स्पेशल महसूस करवाएं। वैसे मुझे सरप्राइज पसंद हैं।