टोक्यो ओलंपिक में शरणार्थियों से बनी एक टीम भी भाग ले रही है। यह टीम टोक्यो 2020 के लिए कतर की राजधानी दोहा में बहुत मेहनत कर रही है।
29 सदस्यों की यह टीम टोक्यो 2020 में 12 खेलों में कंपीट करेगी और यह अपने आप में ऐसी केवल दूसरी टीम बन गई है। इस तरह की पहली टीम 2016 के रियो ओलंपिक में भी खेली थी।
2016 में, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के कार्यकारी बोर्ड ने टीम के गठन को मंजूरी दी थी जिसके बाद 2016 के ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए 10 एथलीटों का चयन किया।
सभी एथलीटों के पास कोई देश नहीं था और उन्हें संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी का दर्जा प्राप्त था। एक रिफ्यूजी वह होता है जो अपने देश से उत्पीड़न, युद्ध या हिंसा के चलते बाहर खदेड़ दिया गया हो।
यह टीम जापान रवाना होने के लिए तैयार थी लेकिन इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) ने बताया है कि टीम के एक सदस्य की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है जिसके चलते जापान जाने में थोड़ी देरी होगी। इसी के चलते टीम दोहा में ट्रेनिंग ले रही है जहां रोजाना कोविड टेस्ट हो रहे हैं।
इस टीम की ही एक सदस्य हैं निगारा शाहीन, जिनका परिवार अफगानिस्तान से पाकिस्तान चला गया था, जब वह सिर्फ छह महीने की थी। वह जूडो टीम का हिस्सा होगी। अल जजीरा से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे जूडो पसंद है, मेरे जीवन के संघर्षों के दौरान, मुझे लगता है कि मेरे लिए एकमात्र सुरक्षित जगह और मानसिक शांति केवल खेल में थी।”
आप इस वीडियो के जरिए देख सकते हैं कि यह टीम कैसे ट्रेनिंग कर रही है। टोक्यो ओलंपिक में 12 गेम्स में शिरकत करने वाली यह टीम ओलंपिक फ्लैग के तहत कंपीट करेगी।
संयुक्त राष्ट के अनुसार 2020 के अंत तक दुनिया में 26.4 मिलियन रिफ्यूजी थे जिनमें से आधों की उम्र 18 साल से कम है।