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एनजीटी ने कहा- व्यावसायिक प्रयोग में आरओ से पानी की भारी बर्बादी को रोकें

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प्रेट्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्य़ूनल (एनजीटी) ने कहा है कि केवल सार्वजनिक हित की कीमत पर कंपनियों के व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए आरओ प्यूरीफायर के इस्तेमाल में पानी की भारी बर्बादी को रोकने की जरूरत है। एनजीटी ने पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओइएफ) को उन क्षेत्रों में आरओ प्यूरीफायर पर प्रतिबंध लगाने के लिए बिना विलंब अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जहां पानी में कुल घुलित ठोस (टीडीएस) का स्तर 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है।

एनजीटी ने कहा कि यह उम्मीद नहीं थी कि एमओईएफ को इस मामले को अंतिम रूप देने और बार-बार स्थगन और विस्तार की मांग करने में वर्षो लगेंगे जो कानून के शासन के खिलाफ है।यह ध्यान देने की बात है कि आरओ (उपचार) की आवश्यकता भूजल में पाए जाने वाले कुल घुलित ठोस (टीडीएस) को अलग करने में होता है। आरओ के उपयोग में पानी की बर्बादी को एनजीटी ने अस्वीकार्य बताया है।

हरित पैनल ने कहा कि केवल व्यावसायिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए बेशकीमती पानी बर्बाद किया जा रहा है। इस प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए। इस काम में मंत्रालय की ओर से जितनी देरी होगी इसे रोकने का उद्देश्य उतना ही प्रभावित होगा। यह पर्यावरण के हित के खिलाफ कार्य के बराबर है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को अगली तारीख से पहले सकारात्मक रूप से आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।