9 साल पहले सभी जिला अस्पताल में आयुष विंग शुरू किया गया था। इसमें सरगुजा के मेडिकल कॉलेज सह जिला अस्पताल ने लाखों रुपए खर्च कर तैयार किया विभाग को ही पिछले ढाई महीने से बंद कर रखा गया है। अस्पताल प्रबंधन ने करीब एक साल पहले आयुष विंग के लिए 18 लाख से बने भवन को पैथालॉजी के लिए लिया था।
जब आयुर्वेद ओपीडी को पास के रामानुज क्लब भवन में डेंटल विभाग की ओपीडी के साथ शिफ्ट की थी। करीब एक साल तक दोनों ओपीडी यहीं चले, अप्रैल में कोरोना टेस्ट के सैंपल कलेक्शन सेंटर के लिए रामानुज क्लब को अस्पताल ने फिर खाली करा दिया। यहां चल रहे आयुष विंग को नजर अंदाज कर सिर्फ डेंटल को ही दूसरे भवन में शिफ्ट किया।इससे ढाई महीने से आयुष विंग की ओपीडी बंद है और मरीज परेशान हैं। विभाग में पदस्थ दो डाॅक्टर सहित छह वर्करों के लिए यहां बैठने जगह नहीं है।
आयुष विंग के लिए मेडिकल काॅलेज में खुद का भवन है। ब्लड बैंक से लगे इस भवन का निर्माण 18 लाख से हुआ है। वर्ष 2012 में तत्कालीन सीएम डाॅ. रमन सिंह ने उद्घाटन किया था। करीब सात साल तक आयुष विंग यहीं चलता रहा। पिछले साल आयुष विंग के भवन को पैथालॉजी के लिए अधिग्रहित कर लिया गया। इसमें आयुर्वेद के उपचार के लिए हर सुविधा दी गई है।
कहने के लिए जिला अस्पताल में आयुष विंग हैं और यहां एलोपैथी के ही डाॅक्टर हैं, लेकिन इसके बाद यहां के आयुष विंग में अच्छी ओपीडी रहती है। औसत 400 मरीज हर महीने देखे जाते हैं।। ओपीडी बंद रहने से यहां पड़ी दवाइयां भी खराब होने की आशंका है।
अभी अस्पताल एनएमसी के नार्म्स के अनुसार मेडिकल काॅलेज के लिए चल रहा है। अभी हमारी प्राथमिकता कोविड व एनएमसी का निरीक्षण है। मेडिकल काॅलेज में आयुष कोई अलग से विभाग नहीं होता है। जहां आयुष चल रहा था वहां पर कोविड सैंपल कलेक्शन चालू कर दिया गया है। अस्पताल में जगह की कमी होने से आयुष ओपीडी के लिए कमरा नहीं दिया गया है।
अंबिकापुर में जिला अस्पताल कैंपस में आयुष विंग का भवन था। पहले इसे मेडिकल कालेज अस्पताल के पैथालॉजी के लिए लिया, लेकिन तब हमें इसी जगह दूसरा भवन मिल गया था। अब इस भवन को भी कोविड टेस्ट के लिए हमसे ले लिया गया।अब हम ही बिना भवन के हो गए हैं। किराए में भवन के लिए डाॅयरेक्टर को पत्र लिखा है।