कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता (सीएलपी) की कुर्सी को लेकर तीन दिन से दिल्ली में मचे घमासान के बीच अब यह निकलकर आ रहा है कि मामला सिर्फ एक कुर्सी का नहीं है। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भी खींचतान मची है। कांग्रेस स्पष्ट रूप से दो खेमों में बंट गई है, लेकिन पार्टी आलाकमान चुनावी वर्ष में इस मामले को कमरे के भीतर ही निपटा देना चाहता है।
मंगलवार को दिल्ली में जुटे दिग्गजों के बीच इस मुद्दे को लेकर बैठकों के कई दौर चले, लेकिन देर रात तक भी कोई नतीजा नहीं निकला। बैठक तो नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर हो रही है, लेकिन आने वाले दिनों में प्रदेश कांग्रेस का चेहरा-मोहरा सबकुछ बदलने के संकेत मिल रहे हैं। कुर्सी की दौड़ में शामिल कांग्रेस नेताओं को चुनावी साल में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक मंडल दल के नेता की कुर्सी की अहमियत मालूम है। इसलिए पार्टी के दो प्रमुख ध्रुव इन दोनों पदों के लिए ताकत लगा रहे हैं।
पार्टी दो ताकतवर खेमों में साफ बंटी नजर आ रही है। हरीश रावत खेमा चाहता है कि प्रीतम सिंह कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ें और नेता प्रतिपक्ष की कमान संभालें। लेकिन प्रीतम सिंह खेमा किसी भी सूरत में यह नहीं चाहता कि उनके नेता अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ें। हरीश खेमा कुर्सी के इस संघर्ष को उस हद तक पहुंचा देना चाहता है, जहां पार्टी आलाकमान इन दोनों ओहदों में से कोई एक ओहदा उसकी झोली में डालने के लिए मजबूर हो जाए।
सियासी जानकारों का कहना है कि टिकटों के बंटवारे से लेकर सीटों का गणित बैठाना काफी हद तक इन दोनों पदों पर बैठे नेताओं के हाथ में होता है। ऐसे में खांटी नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी की पूरी बागडोर अपने हाथ में लेना चाहते हैं। जबकि प्रीतम सिंह कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि हरीश खेमे के इस प्रस्ताव पर प्रीतम ने पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तो छोड़ो कोई भी पद लेने से साफ इनकार कर दिया। ऐसे में अब दोनों गुट पूरी तरह से एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।
पंजाब की तर्ज पर लंबा खींच सकता है मामला
पंजाब कांग्रेस में उभरे मतभेद अभी तक नहीं सुलझ पाए हैं। वहां का मामला भी हाईकमान के पास पेंडिंग हैं। उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ही पंजाब कांग्रेस के प्रभारी भी हैं। ऐसे में सियासी जानकारों का मानना है कि जो हालत इस वक्त उत्तराखंड कांग्रेस के बने हैं, उनमें जल्द कोई हल नहीं निकलेगा।
दिन में सोनिया को भेजा प्रस्ताव, देर रात वार रूम में बैठकों का दौर
उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, सह प्रभारी राजेश धर्माणी और दीपिका पांडे ने तीसरे दिन दोपहर में वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद विधायकों के साथ भी पुन: मंथन किया। इसके बाद वन लाइन रेजुलेशन पास कर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया। लेकिन देर रात तक वहां से ने तो कोई बुलावा आया और न ही कोई निर्णय बाहर आया। बताया जा रहा है कि कोरोना काल में सोनिया गांधी लंबे समय से किसी ने नहीं मिल रही हैं। इधर, पार्टी नेताओं ने राहुल से भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन वहां भी उन्हें समय नहीं मिला। इधर, पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि मामला अब हाईकमान के पाले में है। शीघ्र ही हाईकमान के स्तर पर प्रदेश हित में उचित निर्णय लिया जाएगा।
पार्टी में किसी प्रकार की कोई खेमेबाजी नहीं है। हमारे विरोधी इन बातों को बेवजह की हवा दे रहे हैं। विधानमंडल दल ने वन लाइन रेजुलेशन पास किया है। जिसे पार्टी हाईकमान को भेज दिया गया है। वहां से जो भी आदेश आएगा, सर्वमान्य होगा।