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रोजाना इस्तेमाल होने वाली 5 चीजें जिनके दाम एक साल में 3 से 80 रुपए बढ़े, जानिए महामारी के बीच आप पर कैसे पड़ी महंगाई की मार

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बढ़ती महंगाई से आम लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम सालभर पहले की तुलना में 25% बढ़ गए हैं। इससे आटा, दाल, तेल समेत नमक और दूध जैसे आइटम के भाव 3 से 80 रुपए बढ़ गए हैं। हालांकि, जानकार मान रहे हैं कि बढ़ती महंगाई से लोगों को अगस्त तक राहत मिलने की उम्मीद है। क्योंकि अच्छे मानसून के साथ लॉकडाउन में मिल रही रियायतों का भी फायदा मिलेगा।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक लीटर सरसों का तेल 23 जून को 212 रुपए तक बिका, जो पिछले साल इसी तारीख को अधिकतम 170 रुपए की कीमत पर बिक रहा था। रोजमर्रा के आइटम देखें तो इसमें सरसों का तेल ही सबसे ज्यादा महंगा हुआ है। इसके बाद अरहर दाल, चाय, आटे और नमक का नंबर आता है।

आइए जानते हैं कि महंगाई ने खाने-पीने का स्वाद कितना बिगाड़ा…

सरसों का तेल सालभर पहले 90-170 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा था, जो अब महंगा होकर 117-212 रुपए प्रति लीटर पर बिक रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के चलते तेल मिलें बंद रहीं और विदेश से खाने के तेल का इम्पोर्ट भी घटा है।
अरहर दाल पिछले साल 23 जून को 65-125 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर बिकी थी, लेकिन फ्यूल ऑयल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से अब एक किलो दाल 75-130 रुपए पर बिक रही है।
नमक का इस्तेमाल लगभग सभी भारतीय व्यंजन में होता है, लेकिन कोरोना के चलते सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। नतीजतन, एक किलो नमक का भाव 28 रुपए तक पहुंच गया है, जो सालभर पहले 25 रुपए प्रति किलो पर बिका था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक किलो गेहूं का आटा 23 जून को 20 से 57 रुपए के भाव पर बिका, जो सालभर पहले 17 से 45 रुपए पर बिक रहा था। महामारी की वजह से मिलों में काम करने वाले मजदूर कम रहे और मिलों में गेहूं की आवक घटी, जिससे डिमांड के हिसाब से सप्लाई नहीं हो पाई। नतीजतन, इसके भाव भी बढ़े।
कोरोना महामारी और मौसम अनुकूल न रहने से असम में चाय का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके चलते भाव में सालाना आधार पर 25% बढ़ोतरी देखने को मिली है। इससे एक किलो चाय का भाव 128 से 530 रुपए हो गया, जो पिछले साल 23 जून को 120-450 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रही थी।

महंगे फ्यूल प्राइसेज ने बिगाड़ा खेल
हंगाई की आग महंगे पेट्रोल-डीजल और मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा लागत ने लगाई है। इससे एक तरफ तो ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ी है, तो दूसरी ओर कंपनियां बढ़ती लागत का भार ग्राहकों पर भी डाल रही हैं। इसका ही नतीजा रहा कि मई में रिटेल महंगाई दर 6.30% रही, जो अप्रैल में 4.23% थी। वहीं, थोक महंगाई मई में लगातार दूसरी बार डबल डिजिट में रही और 12.94% हो गई।

दूसरी तिमाही के अंत तक महंगाई से राहत की उम्मीद
IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता बताते हैं कि रोजमर्रा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आइटम की कीमतें बढ़ने की दो मुख्य वजहें हैं, मालभाड़ा महंगा हुआ है और महामारी से सप्लाई पर बुरा असर पड़ा है। इससे मंडियों में आवक भी कम हुई।

उन्होंने बताया कि आम लोगों को दूसरी तिमाही तक राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार मानसून अच्छा रहने वाला है। इससे बुआई समय पर होगी और रकबा भी बढ़ने की संभावना है।