MP में रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन (Remdesivir injection) रैकेट के बाद अब कोरोना की नकली टैबलेट बिकने का खुलासा हुआ है. पता चला है कि फेविमैक्स-400 नाम की 40 हजार नकली टैबलेट ओडिशा से ग्वालियर (Gwalior) में खपाई गईं. इस रैकेट का ओडिशा में भंडाफोड़ होने के बाद यहां खुलासा हुआ. दवा पर जिस कंपनी का नाम छपा है वो है ही नहीं.
मध्यप्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के बाद अब कोरोना की नकली दवा फेविमैक्स-400 टैबलेट बिकने का खुलासा हुआ है. ग्वालियर-चंबल-अंचल में फेविमैक्स-400 की ये नकली टैबलेट ओडिशा की कंपनी ने खपाई हैं. ओडिशा ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट से जानकारी मिलने के बाद ग्वालियर प्रशासन हरकत में आ गया है. ड्रग डिपार्टमेंट ने एक मेडिकल एजेंसी पर छापा मारकर फेविमैक्स-400 की 500 टैबलेट बरामद की हैं. 320 टैबलेट सैम्पल जांच के लिए भोपाल भेजी जा रही हैं.
ओडिशा से पहुंची खेप
ओडिशा के कटक शहर की मेडी लॉयड मेडिकल एजेंसी में कोरोना की नकली दवा का भांडा फोड़ हुआ है. नकली टैबलेट के तार ग्वालियर से भी जुड़ गए हैं. कटक में पकड़े गए मेडिकल संचालक ने ये नकली दवा ग्वालियर में सप्लाई होने की बात कही थी. मामला सामने आने के बाद ग्वालियर चंबल में फेबिमैक्स टैबलेट खरीदने वालों की पहचान की जा रही है. उड़ीसा ड्रग कन्ट्रोल डिपार्टमेंट ने ग्वालियर प्रशासन को खबर दी थी. जिसके बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने महादेव मेडिकल एंड सर्जिकल स्टोर जाकर जांच की. मेडिकल स्टोर संचालक हरीश आहूजा ने ड्रग डिपार्टमेंट को बताया कि उन्होंने अप्रैल महीने में लगभग 40,000 फेविमैक्स-400 टैबलेट मंगवाई थीं. जिन्हें ग्वालियर- चंबल संभाग के अलग-अलग मेडिकल स्टोर को सप्लाई किया गया है.
300 सैंपल जांच के लिए भेजे
ड्रग इंस्पेक्टर ने यहां से लगभग 500 फेविमैक्स-400 टैबलेट बरामद कीं. उसके बाद 300 से अधिक टैबलेट्स के सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे जा रहे हैं. बाकी टैबलेट ज़ब्त कर ली गयी हैं.
पक्का बिल होने के कारण शक नहीं
मेडिकल स्टोर संचालक हरीश आहूजा ने बताया उन्होंने कटक की एजेंसी से अप्रैल में दवाइयां मंगवाई थीं. चूंकि यह दवाइयां प्रॉपर बिलिंग के साथ थीं इसलिए नकली होने का शक नहीं हुआ. ड्रग डिपार्टमेंट को प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस टैबलेट में कोई भी मॉलिक्यूल नहीं है. हालांकि ग्वालियर पहुंची टेबलेट की क्या स्थिति है इसका खुलासा जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगा. चूंकि टेबलेट में कोई मोल्युकुल ही नहीं पाया गया ऐसे में इसे उपयोग करने वाले मरीजों को किसी भी तरह के साइड इफेक्ट की आशंका बेहद कम है. लेकिन क्योंकि दवा नकली है इसलिए वो नुकसान भले ही न करे, फायदा भी नहीं पहुंचाएगी और इससे मरीज़ की तबियत नहीं सुधरेगी और उसकी जान को खतरा है.
क्या है फेविमैक्स-400 टैबलेट
कोरोना के कम लक्षण वाले मरीज़ों के लिए डॉक्टर फेविपिराविर टैबलेट लिखते हैं. इसी मॉलिक्यूल का हवाला देकर फेविमैक्स-400 नकली टैबलेट बनाई गई है. निर्माता कंपनी का नाम मैक्स री-लाइफ हैल्थकेयर सोलन, हिमाचल प्रदेश लिखा है. जबकि हिमाचल प्रदेश में इस नाम की कोई कंपनी नहीं है. मामले की जांच कर रहे ग्वालियर के ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल ने बताया देश के कई राज्यों में नकली फेविमैक्स-400 सप्लाई का खुलासा हुआ है. लिहाज़ा ग्वालियर में बरामद फेविमैक्स-400 की जांच के लिए सैम्पल भेजे गए हैं. हालांकि इस नकली दवा कारोबार के बाद तमाम तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि कोरोना आपदा के समय जब मौत तांडव कर रही थी उस वक्त प्रशासन की नजर इस नकली दवा कारोबार पर क्यों नहीं पड़ी.