Home देश कोविड-19 की जंग में IAF ने भरी इतनी उड़ान की 55 बार...

कोविड-19 की जंग में IAF ने भरी इतनी उड़ान की 55 बार नापी जा सकती है पूरी पृथ्‍वी

58
0

देश में कोरोना (Corona) की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है. देश में बिगड़ चुकी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को सहारा देने के लिए विदेशों (World) से मदद मांगनी पड़ी है. कोरोना महामारी के इस दौर में भारतीय वायु सेना (Indian Ai Force) देश के लिए किसी संकट मोचक से कम नहीं रही है. भारती वायुसेना (IAF) ने इस दौरान 1500 से अधिक उड़ानें, 3000 घंटे और 2 मिलियन किलोमीटर का सफर तय किया है. भारतीय वायुसेना की ओर से तय की गई ये दूरी पृथ्‍वी के 55 बार चक्‍कर लगाने के बराबर है. ये चौंकाने वाले आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय वायुसेना पिछले डेढ़ महीने में कोविड -19 से जुड़े सामान को देश में पहुंचाने में कितना प्रयास किया है.

संक्रमण की दूसरी लहर के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करते हुए IAF का परिवहन बेड़ा चौबीसों घंटे काम में जुटा रहा. विदेशों से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं से जुड़े सामान को लाने में भारतीय वायुसेना के जवान दिन रात एक कर रहे हैं. बता दें कि विदेशों से जो सामान लाए जा रहे हैं उसमें जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरण और ऑक्सीजन सिलेंडर भी शामिल हैं. ये हमारे देश की उपलब्‍धी है कि हमारे पास एयर फोर्स की ताकत है

मंगलवार को न्यूज-18 ने नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे का दौरा किया, जहां कोविड-19 मैनेजमेंट सेल बनाई गई है. इस सेल की मदद से दुनियाभर से ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटिलेटर यूनिट और चिकित्सा उपकरणों तक देश में पहुंचाई जाती है. इसके बाद यहां से देश के अलग अलग हिस्‍सों में इन्‍हें पहुंचाने का काम किया जाता है. ये काम इतने कम समय के नोटिस पर दिया जाता है कि ये किसी मिशन से कम नहीं होता. बता दें कि भारतीय वायुसेना इस काम में अप्रैल से 24 घंटे लगी हुई है. उदाहरण के तौर पर देखें तो भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान ने 35 घंटे की कठिन उड़ान भरी, जिससे ब्रिटेन से चेन्नई तक 37 टन ऑक्सीजन सिलेंडर लाया जा सका.

मंगलवार को न्यूज-18 ने नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे का दौरा किया, जहां कोविड-19 मैनेजमेंट सेल बनाई गई है. इस सेल की मदद से दुनियाभर से ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटिलेटर यूनिट और चिकित्सा उपकरणों तक देश में पहुंचाई जाती है. इसके बाद यहां से देश के अलग अलग हिस्‍सों में इन्‍हें पहुंचाने का काम किया जाता है. ये काम इतने कम समय के नोटिस पर दिया जाता है कि ये किसी मिशन से कम नहीं होता. बता दें कि भारतीय वायुसेना इस काम में अप्रैल से 24 घंटे लगी हुई है. उदाहरण के तौर पर देखें तो भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान ने 35 घंटे की कठिन उड़ान भरी, जिससे ब्रिटेन से चेन्नई तक 37 टन ऑक्सीजन सिलेंडर लाया जा सका.