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26 मई का किसान आंदोलन ‘शक्ति प्रदर्शन’ नहीं, बल्कि किसानों के गहरे असंतोष की अभिव्यक्ति- संयुक्त किसान मोर्चा

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नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध एक बार फिर तेज होता दिखाई दे रहा है. 26 मई को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले एक बार फिर किसान दिल्ली की सीमा पर एकत्रित हो रहे हैं, लेकिन किसान मोर्चा का कहना है कि उनके इस आंदोलन को शक्ति प्रदर्शन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इसका मकसद हमारी ताकत दिखाना नहीं बल्कि ये किसानों के गहरे असंतोष की सांकेतिक अभिव्यक्ति है. प्रदर्शन के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन किया जाएगा.

काले कपड़े, झंडे व पगड़ी पहनकर विरोध प्रदर्शित करेंगे किसान

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष डॉ दर्शन पाल के अनुसार- “किसान गांवों में, शहरों में और दिल्ली की सीमा पर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. प्रदर्शनकारी काली पगड़ियां पहनेंगे, काले दुपट्टे ओढेंगे और काले कपड़े पहनकर विरोध दर्शाएंगे. किसान अपने घरों की छतों पर, अपने टैक्टरों पर काले झंड़े लगाएंगे. जगह-जगह मोदी सरकार के पुतले जलाए जाएंगे. किसान अलग-अलग स्थानों पर धरना देंगे. इसमें कोई शक नहीं कि ये एक आंदोलन होगा, लेकिन इसमें लोगों को एकत्रित करने या संख्या बल बढ़ाने पर जोर नहीं होगा. इसका उद्येश्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि अपना विरोध दर्ज करवाना होगा.”

सोशल डिस्टेंसिंग व कोविड प्रोटोकॉल का होगा पालन

इस समय पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. ऐसे में किसानों का ये आंदोलन कोविड संक्रमण के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन किसानों का कहना है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी दुर्दशा की जिम्मेदारी लेने के कोई भी तैयार नहीं है. किसानों को अपनी जायज मांगों के लिए महामारी के काल में अपनी जान खतरे में डालकर आंदोलन करना पड़ रहा है. किसान मोर्चा ने कहा है किसानों के इस आंदोलन में सोशल डिस्टेंसिंग व कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन किया जाएगा.