सऊदी में तेल के कुछ बेहद सुरक्षित ठिकानों पर रविवार को आतंकी हमले हुए. इसके बाद से क्रूड ऑइल की कीमत एकदम से बढ़ गई है. फिलहाल ये 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा चुकी है, जो पिछले साल की जनवरी के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है. सऊदी में तेल के ठिकानों पर कोई भी गड़बड़ी होने का सीधा असर भारत पर दिखता है क्योंकि ये देश भी हमारे लिए तेल का निर्यात करता है.
सऊदी में बीते सालों में तेल ठिकानों पर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं. इस बार हुआ हमला हूछी विद्रोहियों ने किया. ये वो समूह है, जिसे शिया देश ईरान का समर्थन मिला हुआ है. बता दें कि ईरान का लंबे समय से सऊदी से तनाव चल रहा है. खासकर
सऊदी की इजरायल से ताजा मित्रता के बाद हालात और खराब हुए. ऐसे में ईरान सऊदी के ही असंतुष्ट समूहों को अपने साथ मिलाकर उन्हें अपने ही देश में अस्थिरता पैदा करने को उकसा रहा है. तेल ठिकानों पर हुआ हमला इसी का नतीजा है.
चूंकि भारत सऊदी से भी तेल लेता है तो वहां अस्थिरता का असर यहां कीमतों पर दिखेगा. अमेरिका और चीन के बाद भारत सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. ऐसे में असर सऊदी से ही तेल की कीमत बढ़े तो इसका देश पर काफी असर होगा. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में प्रति बैरल 10 डॉलर की बढ़त हो तो इससे देश का आयात बिल काफी ऊपर चला जाएगा.
भारत अपनी कुल तेल जरूरत का 83 फीसदी तक आयात से पूरा करता है. इसमें भी इराक, अमेरिका और सऊदी प्रमुख तेल निर्यातक देश हैं. सऊदी जहां भारत के लिए पारंपरिक तेल निर्यातक देश रहा, वहीं अमेरिका बीते दशक में इसमें बाजी मार रहा है. दरअसल तेल बाजार में पिछले एक दशक के दौरान काफी बदलाव आए हैं.
सऊदी अरब के लंबे वर्चस्व पर सेंध लगाते हुए अमेरिका में भी शेल इंडस्ट्री के जरिए कच्चे तेल के उत्पादन में भारी इजाफा हुआ. रूस इसमें पहले से ही आगे रहा है. यानी सऊदी, रूस और अमेरिका ये तीन देश दुनियाभर को सबसे ज्यादा तेल दे रहे हैं. यहां तक कि OPEC से जुड़े 15 सदस्य कुल मिलाकर भी उतना तेल उत्पादन नहीं कर पाते, जितना ये तीन देश कर रहे हैं.
तेल बाजार में हाल के समय में अस्थिरता भी आ गई है. पहले सऊदी अरब से लंबे समय तक भारत सबसे ज्यादा क्रूड खरीदता रहा है. लेकिन, साल 2017 से स्थिति बदल गई और इराक सऊदी के लिए बड़ी चुनौती की तरह उभरा. इधर ईरान से तनाव के बीच भारत इस खाड़ी देश से तेल का आयात बंद कर चुका है. बता दें कि परमाणु हथियारों पर लगातार काम के कारण ईरान पर कई देशों समेत अमेरिका ने भी प्रतिबंध लगा दिया था. पाबंदी का मकसद ईरान की इकनॉमी को नुकसान पहुंचाकर उसे परमाणु हथियारों पर काम करने से रोकना था. इसी कड़ी में भारत ने भी ईरान से तेल की खरीदी लगभग बंद कर दी.
अमेरिका, इरान और सऊदी अरब के साथ-साथ भारत तेल की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कई दूसरे तेल उत्पादक देशों पर भी निर्भर है. जैसे नाइजीरिया भी भारत को क्रूड ऑइल की आपूर्ति कर रहा है. इसके बाद यूएई और वेनेजुएला भी आते हैं. बता दें कि वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल पर निर्भर है. हालांकि बीते दिनों राजनैतिक अस्थिरता के कारण ये तेल के भंडारण और निर्यात में कमजोर पड़ा लेकिन अब भारत एक बार फिर इस देश से भारी मात्रा में क्रूड ऑइल के आयात की बात कर रहा है.