भारतीय क्रिकेट इतिहास में 8 फरवरी का दिन और सुबह 10 बजकर 34 मिनट का वक्त बेहद अहम और यादगार है. सिर्फ भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) ही नहीं, बल्कि 6 साल तक विश्व क्रिकेट में ये तारीख और वक्त बेहद अहम रहा. उसके बाद से कई बार ये दुनिया के लिए तो तारीख और समय बदल गया, लेकिन हिंदुस्तान के लिए आज भी ये बेहद खास है. इस दिन अहमदाबाद (Ahmedabad) में श्रीलंका (Sri Lanka) के खिलाफ टेस्ट मैच के पहले दिन भारत (India) ने हसन तिलकरत्ने (Hashan Tillakaratne) का विकेट हासिल किया था. विकेट मिला तो भारतीय टीम के गेंदबाज को ही था, लेकिन ये विकेट पूरे देश का था. ये सफलता दुनिया के शिखर पर भारत के पहुंचने का प्रतीक थी.
कई सालों की कड़ी मेहनत और बेजान पिचों पर अपना कंधा पटकते और कलाईयों को घुमाते हुए मिली हुई सफलताओं का सबसे बड़ा और सबसे सुखद इनाम था ये विकेट. ये था कपिल देव (Kapil Dev) का 432वां टेस्ट विकेट. जेम्स एंडरसन, स्टुअर्ट ब्रॉड, डेल स्टेन का नाम सुनकर और इनके रिकॉर्ड देखने वालों के लिए कपिल का 432वां विकेट शायद मामूली बात हो, लेकिन 27 साल पहले ये आम नहीं था. 27 साल पहले ये सबसे खास था. सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए.
मोटेरा स्टेडियम में कपिल की सबसे ऊंची छलांग
27 साल पहले, 8 फरवरी 1994 को अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम (Motera Stadium) में सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर कपिल देव ने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट के पहले दिन हसन तिलकरत्ने को संजय मांजरेकर के हाथों कैच आउट करवाया था. मांजरेकर के कैच लपकते ही कपिल खुशी से हवा में सबसे ऊंचे उछल गए और उनके साथ टीम के बाकी 10 खिलाड़ी भी. साथ ही उछल पड़े स्टेडियम में मौजूद फैंस भी.
ये कपिल के टेस्ट करियर का 432वां विकेट था. इसके साथ ही कपिल ने न्यूजीलैंड के महान तेज गेंदबाज सर रिचर्ड हैडली का विश्व रिकॉर्ड ध्वस्त कर एक नया कीर्तिमान कायम कर दिया था. 8 फरवरी 1994 की सुबह तक टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड हैडली के नाम था और कपिल बराबरी पर थे.
मैच के पहले ही घंटे में भारत को दो सफलताएं मिल गई थीं. सबसे पहले युवा लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने ओपनर रोशन महानामा को LBW किया. फिर चंद मिनटों बाद इतिहास बदलने वाला लम्हा आ गया. कपिल ने तिलकरत्ने का विकेट हासिल कर सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट हासिल करने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
भारत ने सिर्फ 4 दिन में ये मैच आसानी से एक पारी और 17 रन के अंतर से जीत लिया था. जीत के हीरो स्पिनर वेंकटपति राजू और राजेश चौहान थे. राजू ने दोनों पारियों में मिलाकर 11 विकेट और चौहान ने 6 विकेट झटके थे. कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शानदार 152 रन बनाए थे. कपिल ने सिर्फ एक विकेट लिया था, लेकिन यही विकेट इस मैच की सबसे बड़ी पहचान बन गया था.
दूरदर्शन में बजने लगा- ‘हकीकत है ये ख्वाब नहीं…’
मैच की सुबह तक कपिल 431 विकेटों की बराबरी पर थे और सबको ये भरोसा था कि कपिल ये कारनामा कर देंगे. इसलिए मोटेरा में तैयारियां भी खूब थीं. जैसे ही कपिल ने 432वां विकेट लिया, इस रिकॉर्ड का जश्न मनाने के लिए स्टेडियम के अंदर से 432 गुब्बारे हवा में छोड़े गए थे. विकेट लेने के बाद एक मिनट तक स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने खड़े होकर तालियां बजाईं और कपिल का अभिनंदन किया. दूरदर्शन ने अपना ब्रॉ़डकास्ट रोककर एक खास गाना चलाया- “हकीकत है या ख्वाब नहीं, कपिल देव त्वाड्डा जवाब नहीं.”
16 अक्टूबर 1978 को पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद से अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले कपिल ने इस सफलता के बाद सिर्फ न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच और खेला, जिसमें उन्होंने 2 विकेट झटके. इसके साथ ही कपिल ने लगभग 16 साल के करियर में 131 टेस्ट मैच खेलकर और 434 विकेट के वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ अपना करियर खत्म किया.
6 साल बाद टूटा रिकॉर्ड
भारत के महानतम ऑलराउंडर का ये विश्व रिकॉर्ड 6 साल एक महीना और 20 दिन तक रहा. 28 मार्च 2000 को वेस्टइंडीज के ही एक महान गेंदबाज कॉर्टनी वॉल्श ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 435वां विकेट लेकर नया रिकॉर्ड बनाया. वॉल्श ने 519 विकेटों के साथ करियर खत्म किया, जिसे कुछ सालों बाद शेन वॉर्न ने तोड़ा और आखिरकार मुथैयार मुरलीधरन ने 800 टेस्ट विकेट का रिकॉर्ड बनाया, जो आज तक कायम है.