छत्तीसगढ़ में पुलिस परिवारों के महासम्मेलन की तैयारी ने आला अफसरों की बेचैनी बढ़ा दी है। महासम्मेलन अलगे सप्ताह रायपुर में प्रस्तावित है। दो वर्ष पहले भी पुलिस परिवार के लोग राज्य मुख्यालय पर इसी तरह एकजुट हुए थे और बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया था। यही वजह है कि इस बार खुफिया विभाग ने सभी जिलों को अलर्ट जारी किया है।
इस संबंध में खुफिया विभाग का एक गोपनीय पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। समस्त पुलिस अधीक्षकों को संबोधित इस पत्र में बताया गया है कि गया है कि बर्खास्त सिपाही राकेश यादव के नेतृत्व में यह महासम्मेलन होने जा रहा है। इसमें सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ पुलिस के आला अधिकारियों को आमंत्रित किए जाने का जिक्र है। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस महासम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बजट सत्र के दौरान पुलिस परिवार के मांगों को बजट में शामिल कराने की कोशिश को बताया गया है।
दो वर्ष पहले हुआ था आंदोलन
राज्य में रमन सरकार के कार्यकाल में भी जून 2018 में विद्रोह फूटा था। राज्यभर से पहुंचे पुलिस जवानों के परिजनों ने बड़ा आंदोलन किया था। तब सरकार ने कठोरता से आंदोलन को खत्म किया था।
हर एक गतिविधि पर नजर रखने के निर्देश
इंटेलीजेंस शाखा ने राज्य के सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर पुलिस आंदोलन से जुड़े मसलों पर सतर्क होने की हिदायत दी है। पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि आंदोलनात्मक गतिविधियों पर सतत निगाह रखते हुए समुचित रूप से कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित न हो।
जुटाई जा रही सहयोग राशि
पीएचक्यू के खुफिया पत्र में यह भी बताया गया है कि महासम्मेलन के लिए फंड एकत्र किया जा रहा है। सहयोग राशि जुटाने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए बैंक खाता नंबर भी जारी किया गया है।
81 महिलाओं की हुई थी गिरफ्तारी
जून 2018 में तत्कालीन रमन सरकार के दौरान पुलिस परिवार ने रायपुर में बड़ा आंदोलन रखा था। ईदगाह भाटा मैदान में आंदोलन की अनुमति मांगी गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। अनुमति नहीं मिलने के बावजूद बड़ी तादात में महिलाएं सड़कों पर उतरी थी। आंदोलन कर रही 81 महिलाओं की गिरफ्तारी की थी, हालांकि बाद में समझाइश देकर उन्हें छोड़ दिया गया था, जबकि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया था।
कई मांगें हुईं पूरी
दो वर्ष पहले आंदोलन के दौरान पुलिस परिजनों ने कई मांगें रखी थी। इनमें मुख्य रूप से ड्यूटी की अवधि आठ घंटे तय करने, सप्ताह में एक दिन की छुट्टी देने,पौष्टिक, मेडिकल, वर्दी धुलाई समेत अन्य भत्ते बढ़ाने की मांग की गई थी। इनमें से कुछ मांगें पूरी हुई हैं, लेकिन साप्ताहिक अवकाश और काम के घंटे तय करने जैसी बड़ी मांगों पर विचार और आदेश के बाद भी अमल नहीं हो पा रहा है।