कुछ समय पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बेहद दुःख भरी घटना देखने को मिली. यहाँ एक खाली पड़े फ्लैट से रोने की आवाजे आ रही थी. जब पड़ोसियों ने दरवाजा खोला तो पता चला कि ये रोने की आवाज़ एक बूढी और बीमार महिला की हैं. महिला के तीनो बेटे अपनी बीमार माँ को मरने के लिए फ्लैट में अकेला छोड़ गए थे. आइए विस्तार से जाने क्या है पूरा मामला.
दरअसल छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक फ्लैट में तीन सगे भाई अपने बीवी बच्चे और एक बूढी माँ के साथ रह रहे थे. बूढी माँ हमेशा बीमार रहती थी और बिस्तर पर ही लेटी रहती थी. इस बीच तीनो बेटो ने एक नया मकान ले लिया. ये तीनो नए मकान में रहने तो चले गए लेकिन अपने पुराने फ्लैट में बूढी माँ को मरने के लिए अकेला छोड़ गए. हद तो तब हो गई जब ये लोग घर के सभी सामान के साथ अपनी बूढी माँ के कीमती वस्त्र और आभूषण भी ले गए.
पड़ोसियों के अनुसार उनके पास के फ्लैट का दरवाजा हमेशा खुला रहता था. यहाँ कोई आता जाता भी नहीं था. फ्लेट के अन्दर बूढी माँ के बेटे, बहू और नाती पोते भी नहीं दिखते थे. लेकिन फिर भी कभी कभी इस फ्लैट से किसी के रोने की आवाजें आया करती थी. ऐसे में जब हमें संदेह हुआ तो हमने फ्लैट के अन्दर जा कर देखा. यहाँ का नज़ारा देख हम हैरान रह गए. ये तीनो बेटे अपनी बीमार बूढी माँ को यूं ही मरने के लिए अकेला छोड़ गए थे. इस माँ की हालत इतनी खराब थी कि चलना फिरना तो दूर ये मन से करवट भी नहीं ले सकती थी. दरअसल उन्हें पैरालिसिस की बिमारी हैं. माँ को देख ऐसा लगा जैसे उन्होंने हफ्ते से खाना या दवाई नहीं ली हैं.
माँ की इस दर्दनाक हालत को देख पड़ोसियों ने इसकी सूचना स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ममता शर्मा को दी. जानकारी मिलते ही ममता शर्मा बुजुर्ग महिला की मदद करने फ्लैट पर पहुंची. ममता ने कहा कि महिला के तीन बेटे होने के बाद भी उसकी ये हालत होने काफी दुःख की बात हैं. उसके बेटे जब से नए घर में शिफ्ट हुए हैं तब से वो लोग अपनी माँ से मिलने नहीं आए हैं. वो शायद बीमार माँ की सेवा नहीं करना चाहते थे इसलिए उसे मरने के लिए अकेला छोड़ गए. ममता ने खुद महिला को दवाई और खाना खिलाया.
हैरानी की बात तो ये हैं कि इतना दुःख उठाने के बाद भी बूढी माँ ने बेटो के खिलाफ FIR लिखवाने से मना कर दिया जिसके चलते उसके बेटों के खिलाफ कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं की. हालाँकि पुलिस ने पीड़ित माँ के तीनो बेटो से लीगल बांड भरवाया हैं कि वो अब दुबारा अपनी माँ को मरने के लिए अकेला नहीं छोड़ेंगे.
जरा सोचिए एक माँ जो बचपन में बेटो के बीमार होने पर एक पल के लिए भी उनका साथ नहीं छोड़ती थी आज जब उसे अपने बुरे वक़्त में मदद की जरूरत पड़ी तो उसके बेटे उसे मरने के लिए अकेला छोड़ गए. ये बड़े दुःख की बात हैं कि इंसानियत नाम की चीज आजकल ख़त्म होते जा रही हैं.