राज्य सरकार धान से एथेनॉल-जैव ईंधन के उत्पादन के लिए स्थापित होने वाले संयंत्र को विशेष प्रोत्साहन देगी। राज्य में अर्लीबर्ड स्कीम के तहत ऐसी प्रथम छह इकाईयों को दो करोड़ रुपये का विशेष प्रोत्साहन अनुदान दिया जाएगा। राज्य की नई उद्योग नीति में इन उद्योगों को प्राथमिकता वाले उद्योगों में शामिल किया गया है। उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अर्ली बर्ड स्कीम के तहत स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाईयों को राज्य में एमओयू करने के बाद छह माह के भीतर भारत शासन के सार्वजनिक उपक्रम जैसे इंडियन आयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के साथ प्रथम विक्रय किए जाने की स्थिति में विशेष प्रोत्साहन अनुदान दिया जाएगा।
राज्य में समर्थन मूल्य पर उपार्जित किए जा रहे धान में से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता के बाद लगभग 25 लाख मीट्रिक टन धान अतिशेष रहता है। इसमें से लगभग छह लाख मीट्रिक टन धान का उपयोग एथेनॉल के उत्पादन में किया जा सकता है। बायो-एथेनाल उत्पादन संयत्र से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
30 नवंबर तक दे सकते हैं उद्योग का प्रस्ताव
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस अतिशेष धान को नष्ट होने से बचाने के लिए और उसके समुचित सदुपयोग के लिए यह पहल की गई है। मार्कफेड से अनिवार्य रूप से धान क्रय की शर्त पर एथेनॉल-जैव ईंधन के उत्पाद के लिए बायो रिफाईनरी उद्योग की स्थापना को प्राथमिकता उद्योगों में सम्मिलित किया गया है।
राज्य शासन की इस मंशा के अनुरूप उद्योग विभाग द्वारा निवेश आमंत्रित करने के लिए निवेश की अभिरूचि (ईओआई) 30 सितंबर को जारी की गई। प्री-बिड बैठक 15 अक्टूबर को आयोजित की गई थी, जिसमें इच्छुक निवेशकों द्वारा विभिन्न् प्रश्न एवं सुझाव दिए गए, जिनका निराकरण किया गया। प्रदेश में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए बायो-एथेनॉल प्रोजेक्ट लगाने का प्रस्ताव देने की अंतिम तिथि 30 नवंबर है।