Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ – झीरम हमले के बाद सोनिया गांधी का पहला छत्तीसगढ़ दौरा,...

छत्तीसगढ़ – झीरम हमले के बाद सोनिया गांधी का पहला छत्तीसगढ़ दौरा, राज्योत्सव में स्थानीय कलाकार देंगे प्रस्तुति…

42
0

 छत्तीसगढ़ राज्य के 20वें स्थापना दिवस को राज्योत्सव 2019 के रुप में मनाया जाएगा। 1 से 3 नवंबर तक रायपुर के साइंस कालेज मैदान यह कार्यक्रम होगा। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगी। करीब 6 साल पहले हुए झीरम हमले के बाद यह सोनिया गांधी का पहला छत्तीसगढ़ दौरा है। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, बस्तर के दरभा में नक्सलियों ने कांग्रेसी नेताओं की हत्या कर दी थी। कहा जा रहा है राज्योत्सव के इस दौरे के साथ ही सोनिया प्रदेश कांग्रेस के सभी नेताओं से मुलाकात कर राज्य सरकार की सियासी स्थिति का जायजा भी लेंगी।

यह कार्यक्रम होंगे राज्योत्सव में

  1. कार्यक्रम का आरंभ मांगलिक मोहरी वादन से होगा। इसके बाद छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना गीत-अरपा पैरी के धार की प्रस्तुति होगी। फिर लोकनृत्यों का कार्यक्रम होगा, जिसमें राज्य के विभिन्न अंचलों के लोक नर्तक दलों की प्रस्तुति होगी। इस प्रस्तुति में पंथी, गेड़ी, गौरी-गौरा, राउत नाचा, करमा, सैला, गौर, ककसाड़, धुरवा, सुआ नृत्य का संयोजन होगा। इसी क्रम में पंडवानी गायन, रायगढ़ की कत्थक शैली में समूह नृत्य की प्रस्तुति होगी तथा रंगारंग लोकमंच के कार्यक्रम के साथ प्रथम दिवस की सांस्कृतिक संध्या का समापन होगा।
  2. राज्योत्सव की द्वितीय सांस्कृतिक संध्या का आरंभ खंझेरी भजन से होगा। इसके पश्चात उत्तर छत्तीसगढ़ का सरहुल और सैला नृत्य, मध्य छत्तीसगढ़ का राउत नाच तथा दक्षिण छत्तीसगढ़ का ककसार नृत्य होगा। इस क्रम में अल्फाज और आवाज गीत-गजलों का कार्यक्रम होगा। साथ ही पियानो एवं एकार्डियन तथा वाद्यवृंद की प्रस्तुति होगी। इसी दिन ओड़िसी और भरतनाट्यम के अलावा पारंपरिक भरथरी गायन तथा सरगुजिहा गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। कार्यक्रम का समापन लोकमंच के साथ होगा।
  3. राज्योत्सव की तीसरी सांस्कृतिक संध्या का आरंभ छत्तीसगढ़ी सुगम गायन से होगा। इस दिन पूर्वी छत्तीसगढ़ का करमा, उत्तरी छत्तीसगढ़ का लोहाटी बाजा, दक्षिण छत्तीसगढ़ का गेड़ी नृत्य तथा मध्य छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य होगा। इसके पश्चात कठपुतली का कार्यक्रम, कबीर सूफी गायन होगा। वाद्यवृंद में तालकचहरी तथा सेक्सोफोन एवं गिटार की प्रस्तुति होगी। पारंपरिक लोक गायन ढोलामारू के पश्चात कार्यक्रम की समाप्ति लोकमंच से होगी।