संतरा, मुसम्बी, अनार, आम, केला, नींबू इत्यादि के छिलके को अक्सर हम इधर-उधर फेंक देते हैं। इसका व्यापक उपयोग नहीं होता। जूस सेंटर में हर दिन बड़ी मात्रा में निकलने वाले छिलके को भी कचरे में डाल दिया जाता है। शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई कन्या शाला मैं कक्षा 11 वीं में अध्ययनरत छात्रा जानकी राजपूत ने इस प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया है।
छात्रा ने दावा किया है कि इन छिलकों को सुखाकर पाउडर बनाया जा सकता है, जिसे खेतों में डालने पर यह उर्वरा शक्ति को गई गुना बढ़ाता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम आदि मिलता है। एक ओर जहां रसायनिक खाद उर्वरा शक्ति को कमजोर बनाती है तो वही फलों के छिलके से बने पाउडर मिट्टी के पोषक तत्व और उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते हैं। दरअसल इन छिलकों में साइट्रिक एसिड होता है जो जमीन के भीतर कीड़े-मकोड़ोंको नष्ट कर देता है।