राजनांदगांव (छत्तीसगढ़). गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे ऑटो, स्टील, टेक्सटाइल और कई अन्य सेक्टर की फेहरिस्त में अब पोल्ट्री उद्योग (Poultry Farm Industry) भी आ गया है. पोल्ट्री उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने हर महीने गंभीर आर्थिक संकट का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से राहत की मांग की है. उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि इस समय देश में आर्थिक मंदी के कारण उपभोक्ता भी स्वयं के खर्चों में लगातार कमी कर रहा है, जिसका सीधा असर पोल्ट्री उत्पादकों की खपत पर पड़ रहा है. इससे एक तरफ जहां पोल्ट्री उत्पादों की बिक्री में कमी आई है, वहीं दूसरी ओर इस उद्योग का लागत खर्च बढ़ गया है.
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव स्थित पोल्ट्री कारोबार से जुड़ी प्रमुख कंपनी इंडियान ब्रॉयलर (IB Group) के मैनेजिंग डायरेक्टर और सेंट्रल पोल्ट्री डेवलपमेंट एंड एडवाईजरी काउंसिल के पूर्व सदस्य बहादुर अली ने बताया कि पिछले दो माह से पशु आहार मक्का, कनकी और राइस ब्रॉन की कीमत लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गई है. पोल्ट्री उत्पाद की बाजार कीमत औसत 35 प्रतिशत कम होने की वजह से देशभर के पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि देश के पोल्ट्री फार्मरों को अपने उत्पादन मूल्य से 25 प्रतिशत कम मूल्य में व्यवसाय करना पड़ रहा है. पशु आहार की बढ़ती कीमत और पोल्ट्री उत्पाद के गिरते दाम को देखकर सप्लायर्स पोल्ट्री फार्म्स को पशु आहार की सप्लाई कम या बंद कर रहे हैं. कई छोटे कारोबारियों को तो सप्लायरों ने माल की आपूर्ति बंद कर दी है, क्योंकि उन पर पहले से ही करोड़ों का बकाया है. आईबी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी अंजुम अल्वी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में कभी भी एक साल के भीतर न तो पशु आहार की कीमत इस तरह बढ़ी है और न ही पोल्ट्री उत्पाद की बाजार कीमतों में गिरावट देखी गई है. ऐसे में जबकि पिछले साल कम बारिश के कारण कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ था, पोल्ट्री उद्योग से जुड़े किसान सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि ड्यूटी-फ्री मक्का आयात की अनुमति दी जाए. लेकिन अभी तक सरकार ने इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया. यही वजह है कि पशु आहार की कीमतों में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हो गया है.
20 लाख लोग होंगे प्रभावित उन्होंने बताया कि पोल्ट्री उद्योग में आई इस स्थिति को देखकर इससे जुड़े कारोबारी जल्द से जल्द सरकार से राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं. अल्वी ने कहा कि पोल्ट्री उद्योग में प्रत्यक्ष तौर पर 5 लाख लोग कारोबार कर रहे हैं. वहीं, अप्रत्यक्ष रूप से इस कारोबार से 20 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. अगर सरकार ने जल्द ही इस उद्योग को बचाने का उपाय नहीं किया, तो मुर्गीपालन से जुड़े लाखों परिवारों के सामने आजीविका का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि पशुपालन क्षेत्र से लाखों लोग जुड़े हुए हैं. अगर सरकार इस उद्योग को बचाने में मदद नहीं करेगी, तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे.