अमेरिकी अंतरिक्ष एंजेसी नासा (National Aeronautics & Space Administration) ने अंतरिक्ष के दूसरे सबसे बौने खगोलीय पिंड प्लूटो (Pluto) को एक बार फिर से ग्रह के रूप में मान्यता दी है. नासा के चीफ जिम ब्राइडनस्टिन (Jim Bridenstine) ने प्लूटो को सौर मंडल (Solar System) का एक ग्रह (Planet) माना है. आकार में सबसे छोटा होने पर प्लूटो को साल 2006 में सौर मंडल से बाहर कर दिया गया था, लेकिन अब नासा का मानना है कि खगोलीय पिंड प्लूटो आकार में छोटा होने पर भी एक ग्रह है.
हाल ही में अमेरिका के ओक्लाहोमा में हुए पहले रोबोटिक्स (Robotics) इवेंट में नासा (NASA) चीफ जिम ब्राइडनस्टिन (Jim Bridenstine) ने सौर मंडल (Solar System) पर बात करते हुए प्लूटो को फिर से ग्रह (Planet) बताया. नासा चीफ ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि खगोलीय पिंड प्लूटो ग्रह नहीं है.
अंतरिक्ष विज्ञानशास्त्री (Meteorologist) कॉरी रिपेनहेगन (Cory Reppenhagen) ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें नासा चीफ कह रहे हैं, ‘मेरे विचार से प्लूटो एक ग्रह है. यहां मौजूद मीडिया ये जरूर लिख सकती है कि नासा एडमिनिस्ट्रेटर ने प्लूटो को फिर से एक ग्रह घोषित किया. मैंने जिस तरह से चीजों को सीखा है, उसके लिए प्रतिबद्ध हूं.’
नासा का ये बयान इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) के उस आधिकारिक फैसले के खिलाफ है, जिसमें प्लूटो को बौना खगोलीय पिंड मानते हुए सौरमंडल से बाहर कर दिया गया था.
1930 में हुई थी प्लूटो की खोज
बता दें कि 1930 में एक जिज्ञासु अमेरिकी वैज्ञानिक क्लाइड टॉमबा ने एक बौने खगोलीय पिंड की खोज की थी. जब इसका नाम रखने के लिए सुझाव मांगे गए, तो 11वीं में पढ़ने वाली एक लड़की ने इसे प्लूटो नाम दिया. रोम में अंधेरे के देवता को प्लूटो कहते हैं. प्लूटो पर भी हमेशा अंधेरा रहता है. लंबे वक्त तक प्लूटो हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रहग्रह मान लिया गया था, लेकिन बाद में इसे ग्रहों के परिवार से बाहर कर दिया गया.
प्लूटो को सूरज का एक चक्कर लगाने में 248 साल लग जाते हैं. वहीं जिस तरह से हमारे यहां एक दिन 24 घंटे का होता है, ठीक उसी तरह से प्लूटों में यह 24 घंटे 153.36 घंटों के बराबर होता है. यानी यहां दिन रात के बदलने में करीब 6 दिन लगते हैं.
प्लूटो में पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम गुरुत्वाकर्षण होता है. यहां पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 7 फीसदी ही है, जो इंसान के रहने के लिहाज से अनुकूल नहीं है.
कई खगोलविद प्लूटो को ग्रह मानने से इनकार करते हैं और उनका मानना है कि यह ‘कुइपर बेल्ड’ के पिंडों में से एक हो सकता है. इसलिए साल 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलशास्त्री संघ या आईएयू की आमसभा में प्लूटो को ग्रह मानने से इंकार कर दिया गया था. आईएयू के प्रस्ताव के मुताबिक अब सिर्फ़ आठ ग्रह बच गए हैं, बुध, शुक्र, पृथ्वी, वृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण.