छत्तीसगढ़ में निगम-मंडल, प्राधिकरण और आयोगों में नियुक्ति का दरवाजा अभी बंद हो गया है। नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही नियुक्तियों का दरवाजा खुलेगा। सरकार ने अब तक बस्तर विकास प्राधिकरण, सरगुजा विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, दो-दो उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। अभी सवा सौ निगम-मंडल, प्राधिकरण और आयोगों की कुर्सियां खाली पड़ी हैं।
निगम-मंडल, प्राधिकरण और आयोगों की कुर्सी के दावेदारों को अभी और इंतजार करना होगा। इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल या उनकी सरकार ने बचे हुए निगम-मंडल और प्राधिकरणों में नियुक्ति के लिए चल रही एक्सरसाइज को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
अब मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का पूरा फोकस दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव रहेगा। जब तक दंतेवाड़ा उपचुनाव का नतीजा आएगा, तब तक नगरीय निकाय चुनाव सिर पर आ चुका होगा। दंतेवाड़ा उपचुनाव की मतगणना 27 सितंबर होगी। 20 अक्टूबर के बाद नगरीय निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता लग सकती है।
इसके पहले सरकार नगरीय निकायों में पेंडिंग कामों को पूरा कराने, लोकार्पण और भूमिपूजन करने में व्यस्त हो जाएगी। बहुत ज्यादा हुआ, तो केवल दो-तीन ऐसे निगम-मंडल में नियुक्ति हो सकती है, जिसे लेकर खींचतान नहीं है। बाकी की सूची नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही आएगी।
माहौल बिगाड़ना नहीं चाहेगी पार्टी
प्रदेश में 15 वर्षों के बाद कांग्रेस सत्ता में आई है, इसलिए पार्टी के न केवल वरिष्ठ नेता, बल्कि सक्रिय जमीनी कार्यकर्ता भी निगम-मंडल की कुर्सी मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कार्यकर्ताओं की उम्मीद को पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने यह कहकर और बल दे दिया है कि निगम-मंडल की कुर्सी विधायकों को नहीं मिलेगी।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सक्रियता से काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की जाएगी। निगम-मंडलों की कुर्सी के लिए भारी खींचतान मची है, इसलिए सरकार और संगठन नहीं चाहेंगे कि नगरीय निकाय चुनाव के पहले माहौल बिगड़े।