उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में छोटी काशी नाम से विख्यात गोला गोकरणनाथ में भगवान शिव, धरती से कुछ नीचे विराजमान हैं। यहां पौराणिक शिवलिंग स्थापित है। मान्यता है कि इस शिवलिंग को सतयुग में लंका के राजा रावण द्वारा लाया गया था। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है।रावण ने 12 साल तक भगवान शिव की तपस्या की।
भगवान शिव ने प्रसन्न होकर जब वरदान मांगने को कहा तो रावण ने कहा कि वह उसके साथ चलें और लंका में रहें। भगवान शिव ने कहा कि यदि तुम मुझे लंका ले जाना चाहते हो तो ले चलो पर याद रखना कि जहां भी भूमि स्पर्श हो जाएगा, मैं वहीं स्थापित हो जाऊंगा। रावण सहमत हो गया। भगवान शिव नेपत्थर का रूप(शिवलिंग) लेलिया था।
शिवलिंग को लेकर रावण जब इस क्षेत्र से जा रहा था तभी भगवान ने रावण को तीव्र लघुशंका की इच्छा जागृत कर दी। रावण ने एक ग्वाले को शिवलिंग दे दिया और लघुशंका करने लगा। इस बीच भगवान ने अपना भार बढ़ाना आरंभ कर दिया। भार बढ़ने के कारण ग्वाले ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया। रावण ने शिवलिंग को उठाने का काफी प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। क्रोध में आकर रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को जोर से दबाया, जिसका निशान शिवलिंग पर आज भी विद्यमान है। हर साल श्रावण मास में यहां लाखों भक्त शिवलिंग के दर्शन के लिए आते हैं।