केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि कश्मीर के 130 अलगाववादी नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं या पढ़ चुके हैं। जबकि यह नेता घाटी में स्कूल और कॉलेजों को बंद करवा देते हैं। उन्होंने कहा कि अलगाववादियों को कश्मीरी युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए उकसाने का कोई पछतावा नहीं है और वह चेतावनी देते हैं कि ऐसा न करने पर उन्हें कोई पैसा नहीं मिलेगा। विज्ञापन
शाह ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र ने राष्ट्रपति शासन के तहत स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं को फिर से पटरी पर लाने का काम किया है। राज्यसभा में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने और बढ़ाने के लिए पेश प्रस्ताव पर बहस के दौरान उन्होंने कहा, ‘हम कश्मीर के लोगों को दिल जीतेंगे। वे हमें गले लगाएंगे।’ राज्यसभा में सर्वसम्मति से घाटी में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी मिल गई।
राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने वाले विधेयक को सपा, बीजेडी, टीएमसी सहित कई दलों का समर्थन मिला और प्रस्ताव पारित हो गया। वहीं सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षाण विधेयक भी पेश किया गया। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ ही नियंत्रण रेखा में मौजूद लोगों को आरक्षण का लाभ देगा। शाह ने कहा कि जो लोग भारत विरोधी काम करेंगे उन्हें उनकी ही भाषा में उचित जवाब दिया जाएगा।
जम्हूरियत, इंसानियत, कश्मीरियत की नीति के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का अर्थ यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि जो ताकतें भारत को विभाजित करना चाहती हैं उन्हें बख्शा जाएगा। उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और जम्मू कश्मीर को लेकर लिए फैसलों पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वह भारत के पहले प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते लेकिन आजादी के बाद की गईं भूलों को अनदेखा नहीं किया जा सकता।