विदेश सचिव से विदेश मंत्री तक का सफर तय करने वाले सुब्रह्मण्यम जयशंकर भाजपा में शामिल हो गए। उनका भाजपा में शामिल होना औपचारिकता मात्र था। मोदी सरकार में उन्हें विदेश मंत्रालय का दायित्व पहले ही सौंपा जा चुका है। इस दायित्व के साथ ही उनका पार्टी में शामिल होना लाजिमी था।विज्ञापन
सोमवार को भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर संसद भवन में औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें मोदी कैबिनेट में विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सुषमा स्वराज के पास विदेश मंत्रालय का दायित्व था। सुषमा स्वराज ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।
देश के सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिकारों में से एक के. सुब्रह्मण्यम के बेटे एस जयशंकर को प्रधानमंत्री का करीबी माना जाता है। वह प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ अहम रणनीति बनाने में हिस्सा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जयशंकर का काम करने का तरीका प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और जोखिम लेने के हिसाब से अच्छा रहा है। राजदूत के रूप में जयशंकर के काम करने के तरीके ने उन्हें विदेश सचिव के पद तक पहुंचा दिया।
बता दें कि जयशंकर 1977 के बैच के आईएफएस अधिकारी रहे हैं। जयशंकर ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है। राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री के साथ ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की है। उन्हें परमाणु कूटनीति, अमेरिका और चीन के साथ संबंधों में बेहतर अनुभव है। उन्होंने 2008 के भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को लेकर हुई वार्ता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।