मस्जिद-ए-नबवी के पूर्वी तरफ के इस दरवाजे को बाब-ए-जिब्राईल कहा जाता है क्योंकि फरिश्ता जिब्राईल (AS) इस तरफ से वही (रहस्योद्घाटन) के साथ उतरते थे।
जिब्राईल (AS)अहजब की लड़ाई के बाद पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) के पास आए (कॉन्फेडेरेट्स की लड़ाई और खंदक की लड़ाई के रूप में भी जाना जाता है), और बाब के दरवाजे पर पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) से बात की ।
यह बुखारी में उल्लेख किया गया है जैसा कि आयशा (RA) बोलीं ‘अहज़ाब की लड़ाई के बाद, पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) ने खुद को निहथ्थे कर लिए और गुस्ल किए। इस बीच, जिब्राईल (AS) आए और बाब-ए-जिब्राईल के दरवाजे के पास पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) से बात की। जिब्राइल ने पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) से कहा, आपने अपनी आर्मस दूर कर ली हैं लेकिन हम (फरिश्ते) अभी भी युद्ध की वर्दी में हैं। इसलिए आप हमारे साथ बनो कुरैज़ा की जमात पर हमला करने के लिए आइए।’ आइशा (RA)ने कहा, ‘ मैं अपनी कुटिया के दरवाजे में दरार के माध्यम से जिब्राईल को देख रही थी। जिब्राइल धूल से ढके हुए थे।’
इस दरवाजे को बाब-ए-उसमान (उसमान का दरवाजा) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि पैगंबर (صلى الله عليه وسلم) उसमान (RA) से मिलने इसी दजवाजे के माध्यम से जाते थे जिनका घर इसके विपरीत था। ध्यान दें कि इस दरवाजे की मूल स्थिति वर्तमान मस्जिद के अंदर है। इसे मस्जिद-ए-नबवी के विस्तार के साथ पूर्व की ओर ले जाया गया।