अंबेडकर अस्पताल में जूनियर डाक्टरों की एक दिवसीय हड़ताल के कारण शुक्रवार को ओपीडी में मरीजों का इलाज प्रभावित रहा। पांच से ज्यादा बड़े ऑपरेशन जूडो नहीं होने के कारण टालने पड़े। गर्मी के दिनों में रुटीन में ज्यादा सर्जरी नहीं की जाती। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की सर्जरी ज्यादा की जाती है। इसलिए जूडो की आधे दिन की हड़ताल का ज्यादा असर नहीं पड़ा। वे दो बजे से इमरजेंसी सेवा में आ गए। इस वजह से केवल पांच ऑपरेशन ही प्रभावित हुए। शाम को मेडिकल कॉलेज से तेलीबांधा तालाब तक कैंडल मार्च भी निकाला गया।
पश्चिम बंगाल में एक इंटर्न डॉक्टर के साथ मारपीट और उनकी मौत के बाद छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में डॉक्टरों ने आधे दिन की हड़ताल की। अंबेडकर के जूडो ने भी ओपीडी व सर्जरी का बहिष्कार किया। हालांकि कई कंसल्टेंट डॉक्टर ग्रीष्मकालीन छुट्टी से लौट आए हैं। इसलिए इलाज व सर्जरी ज्यादा प्रभावित नहीं हुई।
लॉबी में धरने पर बैठे डॉक्टर
जेडीए के प्रेसीडेंट डॉ. भगवतीचरण वर्मा ने कहा कि ओपीडी में कंसल्टेंट डॉक्टरों के होने के कारण इलाज ज्यादा प्रभावित नहीं हुई। सर्जरी जरूर टल गई। ऐसे मरीजों की परेशानी बढ़ गई। उन्हें सप्ताहभर बाद बुलाया गया है। दूसरी ओर आईएमए ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर डॉक्टर की मौत की निंदा करते हुए ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की है। दूसरी ओर कड़ी धूप के कारण जूडो ने अस्पताल की लॉबी में धरना दिया। इससे मरीजों को खासी परेशानी हुई।
वे डॉक्टरों पर अन्याय बंद करो, हमें न्याय चाहिए के नारे भी लगा रहे थे। इससे डॉक्टर भी परेशान हुए। आईएमए के रायपुर अध्यक्ष डॉ. अनिल जैन ने कहा कि डॉक्टरों के साथ मारपीट गलत है। ऐसी घटनाएं डॉक्टरों को भयभीत करती हैं।