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OP चौधरी ने पूछे पांच सवाल, CM भूपेश में प्रशासनिक कमजोरी

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 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूर्व कलेक्टर और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने सोशल मीडिया पर पांच सवाल पूछे हैं। इसमें चौधरी ने पीईटी परीक्षा से पहले सर्वर डाउन, चालू डीजीपी की नियुक्ति, विधानसभा में सिंहदेव के विभाग का प्रतिवेदन तैयार नहीं होने पर चर्चा नहीं होने का मुद्दा उठाया है।

इसके साथ ही चौधरी ने पूछा है कि तीन महीने में एक जिले में तीन-तीन एसपी और कलेक्टर तैनात करना क्या प्रशासनिक कसावट है। दरअसल, विपक्ष में रहने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रशासनिक आतंकवाद का आरोप लगाते थे, अब विपक्ष उनसे यही सवाल पूछ रहा है।

कलेक्टर की नौकरी छोड़कर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस के निशाने पर रहे चौधरी ने अब सरकार से सवाल पूछना शुरू किया है। चौधरी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि मैसेंजर महत्वपूर्ण नहीं है, मैसेज महत्वपूर्ण है, इसलिए मुझपर ध्यान न देकर मुद्दों पर ध्यान दीजिए। आज के सवाल राजनीति करने के लिए नहीं,बल्कि इसलिए हैं, ताकि व्यवस्था दुरुस्त हो सके।

यह है चौधरी के पांच सवाल

1. परीक्षा से एक दिन पहले व्यापमं की परीक्षा निरस्त करना क्या बढ़ती प्रशासनिक अव्यवस्था का परिचायक नहीं है? हमारे युवा साथियों को ऐसी स्थिति का सामना क्यों करना पड़ रहा है?

2. छत्तीसगढ़ विधानसभा के 19 वर्ष के इतिहास में पहली बार इस वर्ष अनुदान मांगों पर चर्चा इसलिये नहीं हो पायी, क्योंकि प्रशासकीय प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं कर पाये थे। क्या यह प्रशासनिक अव्यवस्था नहीं है?

3. डीजीपी की तुलना में डीजी नक्सल आपरेशन तीन साल सीनियर हैं। इससे पुलिस प्रशासन में कंफ्यूजन की स्थिति निर्मित नहीं हो रही है?

4. क्या डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना नहीं हुई थी, जिसके कारण सरकार ने सर्वोधा न्यायालय के सामने किरकिरी हुई।

5. कई जिलों ने तीन महीनों में तीन-तीन एसपी और कलेक्टर नहीं देख लिया?

कांग्रेस का तंज, 15 साल में विवादित परीक्षाओं पर भी बोलें चौधरी

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने तंज कसते हुए कहा कि पिछले 15 साल में भाजपा राज में हुई विवादित परीक्षाओं पर भी ओपी चौधरी कुछ बोलते तो अच्छा रहता। शुक्ला ने कहा कि यह स्तरहीन गैरजिम्मेदार बयानबाजी है।

भाजपा भूल रही है कि उनके शासनकाल में व्यापमं द्वारा एक वर्ष में तीन-तीन बार पीएमटी परीक्षा को स्थगित करना पड़ा था। उस समय पर्चा लीक, सामूहिक नकल और रिजल्ट में गड़बड़ियों के कारण परीक्षा निरस्त की गई। छत्तीसगढ़ पीएससी एक वर्ष भी विवादहीन परीक्षा आयोजित नहीं कर पाया।