आखिरकार आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन कर लिया है. हालांकि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा इसका फैसला नहीं हुआ है. जहां शीला दीक्षित खेमा अरविंद केजरीवाल के साथ गठबंधन के खिलाफ था. वहीं पीसी चाको और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन गठबंधन चाहते थे. बड़ा सवाल ये है कि ‘आप’ को अपनी दुश्मन नंबर एक रही कांग्रेस का साथ क्यों चाहिए था?
आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन चाहती थी तो इसके पीछे कुछ बड़ी वजह हैं. दरअसल, इसके पीछे वोट प्रतिशत और सीटों का गणित है. 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. वहीं वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो बीजेपी पर 46.6 प्रतिशत मतदाताओं ने भरोसा जताया था. कांग्रेस को 15.2 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी (आप) को 33.1 प्रतिशत वोट मिले थे. अब अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट प्रतिशत को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 48.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा.
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन होगा
संसदीय क्षेत्रों के हिसाब से देखें तो कांग्रेस-आम आदमी पार्टी पश्चिमी दिल्ली को छोड़ कर अन्य छह क्षेत्रों में बीजेपी से आगे निकलती दिख रही है. वहीं कांग्रेस और आप को वोटों को अलग-अलग कर दिया जाए तो बीजेपी के आगे दोनों पार्टियां कहीं नहीं ठहरती हैं. ज्यादातर चुनावी सर्वे में यह दावा किया गया है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन करने की स्थिति में सभी सात सीटें जीत सकती हैं. अगर गठबंधन नहीं बना तो बीजेपी एक बार फिर 2014 को दोहरा सकती है. इसलिए कभी दुश्मन नंबर एक रहीं इन पार्टियों को एक होना पड़ा.
ये है दिल्ली की सात सीटों का गणित
पश्चिमी दिल्ली
BJP – 48.32 प्रतिशत
पूर्वी दिल्ली
AAP+Cong- 48.9 प्रतिशत
BJP – 47.83 प्रतिशत
नई दिल्ली
AAP+Cong- 48.83 प्रतिशत
BJP – 46.75 प्रतिशत
उत्तरी पश्चिमी दिल्ली
AAP+Cong- 50.18 प्रतिशत
BJP – 46.45 प्रतिशत
उत्तरी पूर्वी दिल्ली
AAP+Cong- 50.62 प्रतिशत
BJP – 46.25 प्रतिशत
Start writing or type / to choose a block
दक्षिणी दिल्ली
AAP+Cong- 46.83 प्रतिशत
BJP – 45.17 प्रतिशत
Start writing or type / to choose a blockParagraph
चांदनी चौक
AAP+Cong- 48.67 प्रतिशत
BJP – 44.6 प्रतिशत