- भाजपा प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अग्रवाल ने कटाक्ष कर कहा -अब जिला अध्यक्ष तक की नियुक्ति में कोई पैरवी नहीं चलेगी की हिदायत के साथ राहुल को सीधी दखल देनी पड़ रही है!
- पिछले दो साल में जिस कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी तक घोषित नहीं की जा सकी है, उस कांग्रेस के नेता संगठन सृजन कार्यक्रम का जुबानी जमाखर्च कर रहे हैं
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कांग्रेस में जिला अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियों को लेकर चल रही अंदरूनी रस्साकशी और कवायद के मद्देनजर कटाक्ष करते हुए कहा है कि कांग्रेस में नीचे से लेकर ऊपर तक नेतृत्व में परस्पर अविश्वास का यह आलम है कि अब जिला अध्यक्ष तक की नियुक्ति में राहुल गांधी को सीधी दखल देनी पड़ रही है और वह भी इस हिदायत के साथ कि इसमें कोई किसी की पैरवी नहीं करेगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि पिछले दो साल में जिस कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी तक घोषित नहीं की जा सकी है, उस कांग्रेस के नेता संगठन सृजन कार्यक्रम का जुबानी जमाखर्च कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर दीपक बैज की नियुक्ति को दो साल बीतने आ रहे हैं, लेकिन वह अपनी प्रदेश कार्यकारिणी तक घोषित नहीं कर पाए हैं। क्या दीपक बैज की कार्यकारिणी भी राहुल गांधी तय करेंगे? विधानसभा, लोकसभा, रायपुर दक्षिण उपचुनाव और निकाय व पंचायत चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस के नेता आपस में ही इतने गुत्थम-गुत्था हुए कि हार के कारणों की समीक्षा के नाम पर कांग्रेस के नेता सिर्फ आरोप – प्रत्योप ही करते रहे और अंततः हार का पूरा ठीकरा कांग्रेस के जिला अध्यक्षों पर फोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिला अध्यक्षों की आधी-अधूरी नियुक्ति के बाद प्रदेश में गुटबाजी ने ऐसा रंग दिखाया कि केंद्रीय आलाकमान तक को शेष जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पसीना छूट गया। राहुल गांधी ने खुद अभी हाल ही इन नियुक्तियों से पहले चर्चा की थी और अब केंद्रीय नेतृत्व ने सभी 41 जिला अध्यक्षों नियुक्ति को लेकर यह नया शिगूफा छोड़ा है।
भाजपा प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने कहा कि गुटबाजी और परस्पर अविश्वास के दलदल में धँसी कांग्रेस में यह बड़ी विडम्बना है कि कांग्रेस में जमीनी स्तर पर नियुक्तियों के लिए केंद्रीय नेतृत्व अपनी ओर से पर्यवेक्षक भेजने की बात कर रहा है जिनकी रिपोर्ट पर ये नियुक्तियाँ की जाएंगी। यह स्थिति बताती है कि मुद्दों और नेतृत्व के संकट से गुजर रही प्रदेश कांग्रेस अब विश्वास के भयावह संकट से गुजर रही है और केंद्रीय नेतृत्व को अपने प्रदेश नेतृत्व तक पर भरोसा नहीं रह गया है। कांग्रेस की इससे अधिक बुरी स्थिति और क्या होगी कि कांग्रेस शासनकाल में कांग्रेस के एक तत्कालीन विधायक ने तत्कालीन सरकार के तत्कालीन वरिष्ठ मंत्री पर ही हत्या कराने तक का आरोप लगा दिया था। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर संगठन की वास्तविक स्थिति साफगोई से जमीनी कार्यकर्ता ही बता पाएगा, लेकिन उन जमीनी कार्यकर्ताओं के बजाय कांग्रेस नेतृत्व अब अपने पर्यवेक्षकों के भरोसे प्रदेश की कांग्रेस को चलाना चाहता है।