Home रायपुर CGMSC घोटाला…सरकार पर चढ़ा 411 करोड़ का कर्ज

CGMSC घोटाला…सरकार पर चढ़ा 411 करोड़ का कर्ज

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रायपुर। छत्तीसगढ़ CGMSC घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 411 करोड़ रुपए का कर्जदार बना दिया। IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में 750 करोड़ रुपए की खरीदी कर ली। इस केस में मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा EOW की रिमांड पर है।
CGMSC के अधिकारी, मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन ने 8 रुपए में मिलने वाला EDTA ट्यूब 2,352 रुपए और 5 लाख वाली CBS मशीन 17 लाख में खरीदी। मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन ने 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट भी खरीदा।
EOW ने रिमांड में शशांक चोपड़ा से रिमांड में पूछताछ के बाद करीब 10 अधिकारियों शॉर्टलिस्टेड किया है। इसमें भीम सिंह, चंद्रकांत वर्मा, मीनाक्षी गौतम, बसंत कौशिक, डॉ. अनिल परसाई, क्षिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार, आनंद राव और एक IFS समेत 10 अधिकारी रडार में हैं। CGMSC घोटाला कैसे हुआ, कौन–कौन शामिल थे, पढ़िए इस रिपोर्ट में ?
जानिए कैसे खुला CGMSC घोटाले का राज ?
दरअसल, दिसंबर 2024 में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिल्ली में PMO, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, CBI और ED मुख्यालय जाकर CGMSC में घोटाले की शिकायत की थी। ननकीराम कंवर की शिकायत के बाद केंद्र से EOW को निर्देश मिला। इसके बाद EOW की टीम ने 5 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की।
जांच के दायरे में आने के बाद श्री शारदा इंडस्ट्रीज बंद
EOW की जांच होने के बाद श्री शारदा इंडस्ट्रीज प्रबंधन ने अपनी फर्म को बंद कर दिया है। कंपनी की साइट पर उसका स्टेट टेंपरेरी बंद बता रहा है। EOW के अनुसार आर.के नाम का कारोबारी इस कंपनी का संचालक है। यह कंपनी ग्राम तर्रा, तहसील धरसीवा रायपुर में स्थित है।
कंपनी संचालक को जांच के दायरे में लाया गया है। यह कंपनी 1 जुलाई 2017 को GST के दायरे में आई थी। कंपनी ने 5 जून 2024 को अपना अंतिम टैक्स जमा किया है।
अब जानिए कैसे मिलता था फर्म को टेंडर ?
मीडिया के पास EOW की जांच रिपोर्ट के कुछ दस्तावेज हैं। इसके मुताबिक CGMSC के अधिकारियों ने मोक्षित कार्पोरेशन को 27 दिन में 750 करोड़ का कारोबार दिया। मेडिकल किट समेत अन्य मशीनों की आवश्यकता नहीं थी। इसके बावजूद सिंडिकेट की तरह काम किया गया।
मोक्षित कार्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज ने कार्टेल बनाकर CGMSC में दवा सप्लाई के लिए टेंडर कोड किया। CGMSC के तत्कालीन अधिकारियों ने भी कंपनी के मनमुताबिक टेंडर की शर्त रखी, ताकि दूसरी कंपनी कंप्टीशन में ना आ सके। कंपनियां शर्तें पूरी न कर सके और टेंडर की रेस से बाहर हो जाए।
दूसरी कंपनी टेंडर रेस से बाहर होने और CGMSC के अधिकारियों से डायरेक्ट सपोर्ट मिलने के कारण मोक्षित कार्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज को ही टेंडर मिला। इसका सीधा फायदा उनके टर्न ओवर में होता था।
EOW ने सरकार से इन अफसरों से पूछताछ की मंजूरी मांगी है, जिसमें 2 से पूछताछ हो गई है। इनकी भूमिका जानने के लिए ग्राफिक्स से गुजर जाइए
27 जनवरी को EOW की टीम ने की छापेमारी
दरअसल, 27 जनवरी को EOW की टीम ने रायपुर और दुर्ग में मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके अलावा हरियाणा के पंचकुला में करीब 8 टीम ने दबिश थी। टीम ने शशांक के भाई, उनके रिश्तेदारों के घर और दफ्तरों में रेड कर दस्तावेज जब्त किए हैं।
इसके साथ ही EOW-ACB ने छापे के दौरान सप्लायर मोक्षित कॉर्पोरेशन के एमडी शशांक गुप्ता के बंगले, फैक्ट्री और पार्टनरों समेत 16 ठिकानों से बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए हैं। EOW की टीम MD के रिश्तेदारों और दोस्तों के घरों के साथ CGMSC के दफ्तर में भी जांच करने पहुंची थी।
कांग्रेस शासन काल में 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट की खरीदी
वहीं, रीएजेंट सप्लाई से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। जरूरत न होते हुए भी कांग्रेस शासन काल में जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपए की खरीदी की है। इतना स्टॉक खरीद लिया गया था कि CGMSC और सभी बड़े अस्पतालों के गोदाम फुल हो गए।
इसके बाद CGMSC की ओर से मोक्षित कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट क्रय कर राज्य के 200 से भी ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भेज दिया गया, जबकि उन स्वास्थ्य केन्द्रों में उक्त रीएजेंट को उपयोग करने वाली CBS मशीन ही नहीं थी।
रीएजेंट की एक्सपायरी मात्र 2-3 माह की बची हुई थी और रीएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन 600 फ्रिज खरीदने की भी तैयारी में लगी थी। रीएजेंट ऐसे हेल्थ सेंटरों में भेज दिया गया, जहां न लैब थी न तकनीशियन थे।
CGMSC घोटाले में अब आगे क्या-क्या होगा ?
EOW के अफसरों ने CGMSC में हुए घोटाले में तत्कालीन अफसरों से पूछताछ तेज कर दी है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक 2 अफसरों से पूछताछ की गई है। खरीदी के दौरान विभाग में पदस्थ अफसराें से भी पूछताछ की जाएगी। आने वाले दिनों में कुछ और लोगों की गिरफ्तारियां हो सकती है।