Home नई दिल्ली वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी की मंजूरी

वक्फ संशोधन बिल को जेपीसी की मंजूरी

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नई दिल्ली। संयुक्त संसदीय समिति ने वक्फ संशोधन बिल पर अपनी रिपोर्ट को बुधवार (29 जनवरी) को मंजूरी दे दी। 16 सदस्यों ने इसका समर्थन किया, जबकि 11 विरोध जताया। अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने ने कहा कि अब यह रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। विपक्षी पार्टियों ने इस पर सवाल उठाए हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 655 पन्नों की रिपोर्ट एक रात में कैसे पढ़ी जा सकती है?
विपक्षी सांसदों ने इस बिल को लेकर कड़ा विरोध जताया। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें रिपोर्ट की 655 पन्नों की कॉपी रातभर में पढ़ने के लिए दी गई, जो असंभव है। उन्होंने अपनी असहमति दर्ज कराई और कहा कि वे संसद में भी इस बिल का विरोध करेंगे। वहीं, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी और शिवसेना के सांसदों ने भी इस पर आपत्ति जताई। विरोध जताने के लिए सांसदों को 29 जनवरी शाम 4 बजे तक का समय दिया गया है।
डीएमके सांसद ए राजा ने कहा कि यह कानून असंवैधानिक है और उनकी पार्टी इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। उन्होंने आरोप लगाया कि छुक्ट की बैठक में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उनका कहना है कि समिति के अध्यक्ष ने एकतरफा तरीके से बैठक चलाई और पहले से तय रिपोर्ट को पास कर दिया। विपक्षी सांसदों ने दावा किया कि उन्हें इस बिल पर शोध करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
24 जनवरी को दिल्ली बैठक के दौरान जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिल में संशोधन को समझने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार दिल्ली चुनावों को ध्यान में रखते हुए जल्दबाजी में रिपोर्ट पेश करना चाहती है। इसी हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और कुस्कुरू के असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे।
अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका दिया, लेकिन विपक्षी सांसदों ने बहस को आगे नहीं बढ़ने दिया। उनका कहना था कि विपक्ष ने बैठक को बाधित करने की कोशिश की और संसदीय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। उन्होंने विपक्ष पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।