रायपुर। बीते एक दशक से देश में फुटबॉल के फैंस की गिनती लगातार बढ़ती ही जा रही है। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) जैसी लीग्स इस खेल में करियर को लेके काफी बड़े सपने देखने वाले यंग टैलेंट्स को एक अच्छा प्लेटफॉर्म देती हैं। छत्तीसगढ़ के ऐसे ही एक यंग टैलेंट हैं, 16 साल के प्रशांत पांडे, जो एक राज्यस्तरीय फुटबॉल प्लेयर हैं। लेकिन दाएं घुटने में लगी चोट के कारण एक फुटबॉलर के रूप में खुद को स्थापित करने का उनका सापना बिखर गया था। डायग्नोसिस में पता चला कि उन्हें एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) और मेनिस्कस टियर है। किसी फुटबॉलर के लिए घुटनों की मज़बूती बहुत ज़रूरी होती है, लेकिन दुर्भाग्य से प्रशांत का दायां घुटना बुरी तरह चोटिल हो गया था। इतनी कम उम्र में ऐसी किसी चोट से पूरा फुटबॉल करियर दांव पर लग सकता है। लेकिन सपने टूट जाने के बाद भी हिम्मत न हारने वालों के लिए मुश्किल वक़्त में एक आशा की किरण ज़रुर होती है। प्रशांत के साथ भी ऐसा ही हुआ जब उन्हें अभिनव बिंद्रा फॉउन्डेशन के अंतर्गत रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। इस फाउंडेशन का उद्देश्य भारत में स्पोर्ट्स के लिए एक मज़बूत इकोसिस्टम तैयार करना है।
रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल ऑर्थोपेडिक्स के साथ मेडिकल साइंस की और भी कई ब्रांचेज़ में मध्य भारत के अग्रणी हॉस्पिटल्स में आता है। यहां इलाज की नवीनतम तकनीक के साथ प्रशिक्षित, अनुभवी और स्किल्ड डॉक्टर्स, सर्जन्स और मेडिकल स्टाफ की टीम है। इस वजह से प्रशांत का ऑपरेशन बड़ी सटीकता और केयर के साथ डॉ. सुमन कुमार नाग द्वारा किया गया। इस सर्जरी में अर्थ्रोस्कोपिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था। यह सफल सर्जरी बिना किसी स्वार्थ के, कोई भी फ़ीस लिए बिना की गई थी। सर्जरी के बाद प्रशांत को ऐसा महसूस हुआ जैसे उन्हें नया जीवन मिल गया हो, क्यों कि इस चोट की वजह से वो काफी शारीरिक और मानसिक तकलीफ़ से गुज़रे थे। अत्यधिक भावुक मन से उन्होंने डॉ. सुमन कुमार नाग, डॉ. पंकज ढाबलिया और पूरे ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट द्वारा निःस्वार्थ किए इस ऑपरेशन की बहुत तारीफ़ की। उन्होंने रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल और अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन का भी बहुत आभार व्यक्त किया।