- पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज की मुख्यमंत्री को चुनौती एक पंचायत बताये जहां भुगतान का काऊंटर खोला हो
- पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज मोहला में शामिल हुए
- राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया
रायपुर। किसानों को धान बेचने में हो रही परेशानी तथा धान खरीदी केंद्र में फैली अव्यवस्था को दूर करने टोकन, भुगतान, तौलाई, सोसायटी में जाम की स्थिति के निराकरण करने एवं बारदाने की कमी दूर करने, एकमुश्त भुगतान की मांग को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश के सभी ब्लॉकों में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। मा. राज्यपाल से अनुरोध किया कि धान खरीदी की परेशानी दूर करने के लिये सरकार को निर्देश देवे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मोहला मानपुर जिले मानपुर के दुर्गा चौक में धरने में शामिल हुये। उन्होंने कहा हम लगातार किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिये सरकार से आग्रह कर रहे हम लोग धान खरीदी केंद्रों में गए वहां पर किसानों को परेशान किया जा रहा। सरकार की मंशा साफ नहीं है वह किसानों से पूरा धान नहीं खरीदना चाह रही। बारदानों का संकट है, टोकन नहीं मिल रहा, इलेक्ट्रॉनिक कांटे से ज्यादा मात्रा में धान लिया जा रहा, इन सबको लेकर हमने बार-बार सरकार को चेतावनी दिया। सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते है एकमुश्त पैसा दे रहे जबकि पूरे प्रदेश में मात्र 2300 की दर में भुगतान हो रहा। वादा किया था पंचायतों में काऊंटर खोलकर धान का 3100 रू. एकमुश्त भुगतान करेंगे। मैं मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूं प्रदेश के कितने पंचायतों में काऊंटर खोलकर किसानों का भुगतान कर रहे, बताये साहस है तो एक पंचायत का नाम बता दें। हमारे सभी ब्लॉकों से अलग-अलग मा. राज्यपाल जी को ज्ञापन भेजा है। किसानों की समस्या दूर करने के लिये हस्तक्षेप करने को कहा है।
राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा गया कि
14 नवंबर से पूरे प्रदेश में धान खरीदी शुरू है, लेकिन धान खरीदी केन्द्रों में फैली अव्यवस्था तथा सरकार की नीतियों के कारण किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। 3 दिसंबर को कांग्रेस ने धान खरीदी केन्द्रो चलो अभियान चलाया, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण, पदाधिकारी धान खरीदी केन्द्रो पर गये, जहां उन्होंने किसानों की परेशानियो को देखा धान खरीदी केन्द्रो पर किसान निम्नांकित परेशानियों से जूझ रहे है।
बारदाने की कमी है, जिससे किसानों को धान बेचने में परेशान होना पड़ रहा। सरकार ने कहा है कि 50 प्रतिशत नये, 50 प्रतिशत पुराने बारदानों का उपयोग किया जाये। 50 प्रतिशत पुराने बारदाने समितियों में पहुंचे ही नहीं है, जिसके कारण धान खरीदी बाधित हो रही है। पुराने बारदाने फटे हुये है जिसमें धान भरा ही नहीं जा सकता, किसानों से कहा जा रहा 50 प्रतिशत बारदानो की व्यवस्था स्वयं करो उसका भुगतान किया जायेगा, लेकिन किसानो के बारदाने का पैसा भी नहीं मिल रहा।
टोकन की व्यवस्था अव्यवहारिक है, जिससे किसानों को परेशान होना पड़ रहा, नंबर ही नहीं आ रहा। टोकन कटने की तारीख से 7 से 10 दिन बाद धान बेचने के लिये किसानों को बुलाया जा रहा है। 15 दिन बाद तक का भी टोकन नहीं मिल रहा।
इलेक्ट्रॉनिक कांटा में जो तौलाई हो रहा है उसमें 1.5 किलोग्राम से 2.5 किलोग्राम अधिक तौला जा रहा है।
सोसायटियों में धान का उठाव नहीं होने के कारण जगह की कमी है। धान के बोरे जाम है। जगह का अभाव हो गया है।
अनावरी रिपोर्ट कम बनाई गयी है तथा खरीदी भी 21 क्विंटल के हिसाब से नहीं हो रही है। किसानों से पूरा धान नहीं खरीदा जा रहा है। अनावरी रिपोर्ट गलत बनाया जा रहा जिसके आधार पर मात्र 9 से 12-14 क्विंटल धान खरीदा जा रहा। किसानों से पूरा 21 क्विंटल धान नहीं खरीदा जा रहा है।
बड़े किसान अपनी बारी का इंतजार कर रहे उनकी बारी ही नहीं आ रही है।
सरकार ने यह घोषणा किया है कि 72 घंटे में किसानों के खाते में पैसा आयेगा, लेकिन जो लोग धान बेच चुके है, उनके खाते के रकम हफ्तो तक नहीं आया है, जो रकम आ रहा है वह एक मुश्त 3100 नहीं है। सिर्फ 2300 रू. प्रति क्विंटल ही आ रहा है। (जो समर्थन मूल्य है उतना) भाजपा ने 3100 रू. एकमुश्त देने का वादा किया था।
हमारी मांग है धान की कीमत का भुगतान 3217 रू. में करें क्योंकि 3100 रू. भाजपा ने अपने चुनावी वायदे में कहा था। इस वर्ष केन्द्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 117 रू. बढ़ा दिया है। इस कारण इस वर्ष धान की खरीदी 3100 रू. से बढ़ाकर 3217 रू. किया जाये। कांग्रेस के समय भी कांग्रेस ने धान का समर्थन मूल्य 2500 देने का वादा किया था, लेकिन समर्थन मूल्य बढ़ने पर कांग्रेस ने 2640 रू. में धान खरीदी किया था।
बीज उत्पादक किसानों से सोसायटी में धान नहीं खरीदा जा रहा। सोसायटी में सूचना चस्पा किया गया है कि बीज उत्पादक किसानों का धान नहीं लिया जायेगा।
सोसायटी से धान संग्रहण केंद्रों में भेजा जा रहा है जबकि यह सीधे मिलरों के पास जाना चाहिये। इस कारण सोसायटी में संग्रहण केंद्रों के बीच परिवहन की लागत अतिरिक्त आ रही है। लेवर चार्ज बढ़ गया, इसमें भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
पिछले वर्ष का सुखत का पैसा सोसायटियों को अभी तक नहीं दिया गया।
हमारा आपसे आग्रह है कि किसानों की परेशानियों के निराकरण तथा किसानों का पूरे धान की खरीदी सुनिश्चित करने हेतु आप हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश देने की कृपा।