नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. मंगलवार को संसद के दोनों सदन बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिए गए. हालांकि इससे पहले विपक्ष ने राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया. दरअसल, विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति के कामकाज से नाराज होकर सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया है. इस प्रस्ताव में सभापति पर सदन में पक्षपातपूर्ण कामकाज का आरोप लगाया गया है. इसके लिए विपक्ष ने अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव को सदन में पेश किया।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष के करीब 70 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. जिसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत अन्य कई छोटे दल भी इसे लेकर एकजुट हैं।
बता दें कि इससे पहले विपक्ष ने मानसून सत्र के दौरान अगस्त में भी सभापति के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया था. लेकिन उस वक्त कार्रवाई ना करने का फैसला लिया गया, लेकिन अब एक बार फिर से अब इंडिया ब्लॉक के कई नेताओं ने सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ असंतोष जताते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया. विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति पर क्षपातपूर्ण रवैया दिखाने का आरोप लगाया है।
बता दें कि इससे पहल विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 70 सांसदों के हस्ताक्षर होने की बात कही. जिसमें कहा गया कि इसमें इंडिया गठबंधन की तमाम पार्टियां शामिल हैं. हालांकि इससे पहले ऐसा माना जा रहा था कि टीएमसी और कांग्रेस के बीच चल रही अनबन के चलते तृणमूल कांग्रेस उसका साथ नहीं देगी, लेकिन अब जानकारी मिली है कि टीएमसी के अलावा समाजवादी पार्टी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया है और दोनों पार्टियों के सदस्यों ने भी अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
कांग्रेस ने राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाए थे. कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा था कि, विपक्ष लगातर सदन चलाने की मांग कर रहा है, लेकिन सभापति धनखड़ सत्ता पक्ष को सदन में गतिरोध पैदा करने का मौका दे रहे है. उन्होंने कहा कि आसन का ये पक्षपाती रवैया लोकतंत्र के खिलाफ है. जबकि राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ऐसा कर लोकतंत्र की हत्या नहीं करनी चाहिए।