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हवाई किराया बढ़ाने से पहले एयरलाइंस को सरकार को बताना होगा, केंद्र ने राज्यसभा में बताया

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नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने हवाई किराए को लेकर एक नए नियम की जानकारी दी है, जिसके तहत एयरलाइंस को अब किराया बढ़ाने से पहले सरकार को सूचित करना होगा।केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने राज्यसभा में उठाए गए विमानों से जुड़े सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि एयरलाइनों को अपने टिकट की कीमतों के बारे में क्रियान्वयन से एक महीने पहले नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को सूचित करना होगा।
नायडू ने राज्यसभा में कहा, हम डीजीसीए के तहत हवाई टिकटों की कीमतों पर नजऱ रख रहे हैं। जब एयरलाइंस किसी खास सेक्टर या रूट के लिए कीमतें तय करती हैं, तो उन्हें मंत्रालय को भेजना होता है।उन्होंने कहा, अगस्त में हमने एयरलाइन उद्योग को हवाई किराए के बारे में जागरूक किया और परिणाम सामने आए। पिछले साल की तुलना में कीमतों में 42 प्रतिशत तक की कमी की गई है।आगे और भी उपाय किए जा रहे हैं।
नायडू ने कहा कि सरकार 2010 के एक सर्कुलर में एक प्रावधान को हटाने जा रही है, जिसमें एयरलाइंस को 24 घंटे में कीमतों में बदलाव की अनुमति थी।उन्होंने बताया कि इस ढील की वजह से कीमतों में तेजी से बदलाव संभव हुआ, जो एयरलाइंस के लिए फायदेमंद होता है। नई प्रणाली एयरलाइंस को अपनी मर्जी से किराए में बदलाव नहीं करने देगी।उन्होंने कहा कि सरकार टैफिक निगरानी प्रणाली मजबूत बना रही है ताकि एयरलाइंस मनमानी न करें।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हवाई किराए की लागत का एक बड़ा हिस्सा ईंधन की कीमतों से तय होता है, जो राज्यों के वैट दरों से प्रभावित होते हैं।उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने उच्च दरों को बरकरार रखा है, जबकि कुछ राज्यों ने कम किया है।उन्होंने राज्यों से ईंधन पर वैट कम करने का अनुरोध किया है, जिससे विमानन क्षेत्र को बढ़ावा मिले। हवाई किराए का 45 प्रतिशत ईंधन पर खर्च होता है।