Home राजनांदगांव मानसिक स्वास्थ्य के इलाज में नैतिक सहयोग ही सबसे बड़ी उपचार है:...

मानसिक स्वास्थ्य के इलाज में नैतिक सहयोग ही सबसे बड़ी उपचार है: डॉ. दीना नाथ यादव

3
0

राजनंदगाँव। समाज में बढ़ रहे मानसिक स्वास्थ्य में बेहतर इलाज और रोकथाम हेतु सामुदायिक भागीदारी और उनकी जिम्मेदारियां को महत्व देने की आवश्यकता है इसके लिए सामुदायिक उपचार सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली है उक्त बातें विश्व मानसिक दिवस के अवसर पर समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. दीनानाथ यादव ने कहीं। मंगलवार को मैट्स विश्वविद्यालय के तत्वावधान में समाज कार्य विभाग द्वारा “दिव्यांग व्यक्तियों में मनोसामाजिक मूल्यांकन एवं कल्याण” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला डीडीयू नगर के “अमूल्य अकादमी” के प्रांगण में विकलांगता के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन एवं जागरूकता विषय पर था। मुख्य विशेषज्ञ लोकेश कुमार रंजन जी, सहायक प्रोफेसर, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान देवादा राजनंदगाँव और प्रबोध नंदा, वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक राज्य मानसिक स्वास्थ्य संसाधन केंद्र रायपुर और डॉ. प्रीति उपाध्याय प्राचार्य कोपलवाड़ी कॉलेज के विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में सहायक प्रोफेसर लोकेश कुमार रंजन ने विकलांगता के प्रकार एवं प्रकृति पर चर्चा की, , प्राचार्य डा. प्रीति उपाध्याय दिव्यागता के लक्षणों तथा वरिष्ठ कार्यक्रम समन्वयक प्रबोध नंदा ने विकलांग व्यक्तियों की सहायता में मितानि एवं स्वयं सहायता समूह की भूमिका पर अपने विचार प्रस्तुत कियें। लोकेश कुमार रंजन ने उपस्थित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ताओं, एक्यूप्रेशर विशेषज्ञों आदि से समाज में रह रहे विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के अध्ययन एवं समस्या के समाधान हेतु विभिन्न कौशलों के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि विकलांगों के लिए नीतियों के निर्माण के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में आरक्षण की भी आवश्यकता है। लेकिन इसके अलावा उनके प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि शारीरिक विकलांगता के साथ-साथ मानसिक विकलांगता भी एक बड़ी चुनौती है जिसकी पहचान जल्दी नहीं हो पाती और समय रहते इसका इलाज हो जाए तो यह समस्या भी उत्पन्न नहीं होती। इसलिए यह आवश्यक है कि समय रहते इस मानसिक बीमारी के विभिन्न लक्षणों की पहचान कर ली जाए और इसके त्वरित निदान की व्यवस्था की जाए। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया, कुलपति प्रो. केपी यादव, कुल निदेशक श्री प्रियेश पगारिया के साथ-साथ कुलसचिव श्री गोकुलनंदा पंडा का विशेष सहयोग एवं आशीर्वाद रहा। इस पूरे कार्यक्रम के आयोजन में विभागाध्यक्ष डॉ. दीना नाथ यादव ने समन्वयक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।