रायपुर। जनजातीय बहुल छत्तीसगढ़ प्रदेश में तेंदूपत्ता का सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में व्यापक महत्व है,यही कारण है कि इसे हरा सोना माना जाता है. तेंदूपत्ता वनांचल में रहने वाले लोगों के जीवन यापन का एक मुख्य जरिया है. गर्मी के दिनों में जब वन अंचल में रहने वाले ग्रामीणों के पास न तो खेतों में काम होता है और न ही घर में कुछ काम, तब गांव के लोगों का जीवन इसी तेंदूपत्ता के इर्द गिर्द गुजरता है. तेंदूपत्ता यानि हरा सोना का संग्रहण उन्हें मेहनत एवं संग्रहण के आधार पर भरपूर पारिश्रमिक देता है. चूंकि प्रदेश के मुखिया आदिवासी समाज से आते हैं, इसलिये उन्होंने तेंदूपत्ता संग्राहकों की समस्याओं को बहुत करीब से देखा और समझा है, इसलिये मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने मोदी की गारंटी के अनुरूप तेंदूपत्ता संग्राहकों की सुविधाओं में बढ़ोतरी की।
छत्तीसगढ़ अपने वन और यहाँ सदियों से निवास करने वाले आदिवासीयों से भी पहचाना जाता है..छतीसगढ़ के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है, इसी भू-भाग में आदिवासी निवास करते हैं. इन आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार लगातार प्रयास कर रही है. चूंकि ये आदिवासी अपने आजीविका के लिए जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं और आदिवासी समुदाय वनों से तेंदूपत्ता सहित अन्य वनोपज इकट्ठा करके अपनी आजिविका चलाते हैं. तेंदूपत्ता की कीमत बढ़ाकर साय सरकार ने इन आदिवासियों को सौग़ात दी है. राज्य सरकार का ये प्रयास इस बात का भी संकेत है कि छत्तीसगढ़ की समृद्धि और खुशहाली की गारंटियां प्राथमिकता के साथ पूरी की जा रही है।
लोकसभा चुनाव से पहले विष्णुदेव साय सरकार ने कैबिनेट की सातवीं बैठक में मोदी की इस गारंटी को पूरा करने का निर्णय लिया था. कैबिनेट में लिए गए निर्णय के मुताबिक, तेंदूपत्ता संग्राहकों को अब संग्रहण पारिश्रमिक 4,000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा किया गया. इसके लिए राज्य सरकार 300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त भार वहन कर रही है. प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा तेंदूपत्ता का प्रति मानक बोरा राशि 5500 रुपए किए जाने के बाद संग्राहकों में अपार खुशी है. वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों के लिये तेंदूपत्ता के प्रति मानक बोरा की दर में हुई वृद्धि भी खुशियां जगा दी है. वहीं तेंदूपत्ता संग्राहकों को तेंदूपत्ता पारिश्रमिक राशि स्थानीय स्तर पर बैंक सखियों के माध्यम से भुगतान होने के फलस्वरूप विशेषकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के संग्राहकों को बहुत सहूलियत हो रही है..बस्तर में तेंदूपत्ता सीजन 2024 में संग्रहित तेंदूपत्ता का 36 हजार 229 संग्राहकों को 12 करोड़ 43 लाख 95 हजार 749 रुपए पारिश्रमिक राशि अपने गांव के बैंक मित्र एवं बैंक सखियों द्वारा भुगतान की गई है।
बैंक मित्र पखनार रामो कुंजाम ने बताया कि वह इलाके के 05 ग्राम पंचायतों के 250 से ज्यादा तेंदूपत्ता संग्राहकों को तेंदूपत्ता पारिश्रमिक राशि का भुगतान कर चुके हैं. वहीं लोहण्डीगुड़ा ब्लॉक के कस्तूरपाल के बैंक मित्र सामू कश्यप ने 50 से अधिक संग्राहकों तथा बस्तर विकासखण्ड के भानपुरी की बैंक सखी जमुना ठाकुर ने 56 से ज्यादा संग्राहकों को भुगतान किया है. वहीं बकावंड ब्लॉक के डिमरापाल की बैंक सखी तुलेश्वरी पटेल अब तक डिमरापाल एवं छिंदगांव के 90 से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान कर चुकी हैं।
4,000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रूपए प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता पारिश्रमिक की दर कर छतीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों के जीवन स्तर को सुधारने की मुहिम शुरू की है. इसके साथ ही मोदी जी की एक और गारंटी पूरी हुई.. राज्य सरकार के इस कदम से लगभग 12.50 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को सीधा लाभ मिल रहा है. तेंदूपत्ता संग्राहकों को इससे लगभग 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हुई है. तेंदूपत्ता की खरीदी पर 4,500 रुपये तक का बोनस मिल रहा है. तेंदूपत्ता संग्रहण की अवधि 15 दिनों की रखी गई है।
प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता में पारिश्रमिक की दर बढ़ाने के अलावा भी तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने कई और योजनाएं भी शुरू की हैं. छत्तीसगढ़ में पिछली भाजपा की रमन सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के लिए चरण पादुका योजना शुरू की थी..इसके तहत तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को चरण पादुका दी जाती थी, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस योजना को बंद कर दिया गया था.. इस योजना के अंतर्गत पिछली बार भाजपा की राज्य सरकार ने उन आदिवासियों को जो जंगल में जाकर तेंदूपत्तों को इकठ्ठा कर उसे बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं उन्हें हर साल एक जोड़ी जूते दिया करती थी.।
छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए चरण पादुका वितरण योजना को फिर से शुरू करने वाली है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 1 अगस्त, 2024 को जगदलपुर में की थी. आदिवासियों के विकास के लिए प्रतिबद्ध साय सरकार ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला लिया है.. साय सरकार के गठन होने के बाद इस योजना को फिर से शुरू करने की न केवल घोषणा हुई, बल्कि इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया. छत्तीसगढ़ सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए चरण पादुका योजना को फिर से शुरू करने का ऐलान किया है. इस योजना के तहत, तेंदूपत्ता संग्रहण करने वाले परिवार के मुखिया की पत्नी को चप्पल दी जाएंगी. इस योजना के तहत, प्रदेश के 14 लाख परिवारों को इसका लाभ मिलेगा।5 साल से बंद पड़ी चरण पादुका योजना के लिए साय सरकार ने अपनी पहली बजट में 35 करोड़ का प्रावधान किया है. इस योजना के फिर से शुरू हो जाने से प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों में खुशी की लहर हैं।
छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों के लिए शिक्षा प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है.. इस योजना के तहत तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों को कक्षा 9वीं एवं 10वीं के लिए 12 हजार रुपए और कक्षा 11वीं, 12वीं के लिए 15 हजार रुपए की वार्षिक सहायता दी जाती है.. गैर तकनीकी स्नातक छात्रों को 20 हजार रुपए और व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों को 50 हजार रुपए की सहायता दी जाती है..यह योजना छत्तीसगढ़ लघु वनोपज सहकारी संघ लिमिटेड की है..इस योजना से लाभान्वित होने के लिए विद्यार्थी को लगातार 60 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करना आवश्यक है.. विशेष परिस्थितियों में इससे कम अंक आने पर विद्यार्थी को 60 प्रतिशत अंक लाने के लिए एक अवसर दिया जाता है।
एकलव्य शिक्षा विकास योजना का लाभ उन्हीं तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों को दिया जाएगा, जिन्होंने गत 5 वर्षों में कम से कम 3 वर्ष न्यूनतम एक मानक बोरा तेंदूपत्ते का संग्रहण किया हो.. फड़ मुंशी एवं समिति प्रबंधक द्वारा 3 वर्ष तक कार्य करने पर ही उनके बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा.. इसमें बच्चों का चयन कक्षा 9 से 12 एवं स्नातक स्तर की शिक्षा के लिए मेरिट सूची के आधार पर होगा..इसकी चयन सूची राज्य स्तर पर लघु वनोपज संघ द्वारा तैयार की जाएगी. तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों, संग्रह करने वाले, फड़ मुंशियों और वनोपज समितियों के प्रबंधकों के बच्चों के लिए शासन द्वारा एकलव्य शिक्षा विकास योजना लागू की गई है.. तेंदूपत्ता संग्राहकों के घर के मुखिया को 2 लाख रुपये का जीवन बीमा दिया जाता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कोंडागांव स्थित विकास नगर स्टेडियम में आयोजित ’जंगल जतरा 2024’ महासम्मेलन को संबोधित करते हुए यह घोषणा की थी कि “ ’तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन 2024’ से यह दर प्रभावशील होगी.. बस्तर संभाग की प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पदाधिकारियों और संग्राहक सदस्यों के बीच उपस्थित होकर गर्व हो रहा है, क्योंकि इस कार्यक्रम के माध्यम से मोदी जी की एक और गारंटी को हम पूरा करने जा रहे हैं..मुख्यमंत्री साय ने कहा कि मोदी जी ने कहा था कि यदि छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार बनी तो हम तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 4000 रुपए मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रुपए मानक बोरा कर देंगे।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बस्तर, जशपुर सहित अन्य क्षेत्रों में तेंदूपत्ता की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. बूटा कटाई के बाद तेंदूपत्ता की पैदावार शुरू होती है मार्च अंत तक इसके संग्रहण का काम शुरू हो जाता है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले में बैंक शाखाएं दूर होने के कारण तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक राशि का भुगतान नगद करने के निर्देश दिए हैं..पारिश्रमिक राशि के भुगतान की कार्रवाई पंद्रह दिन के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए
गए हैं. नगद भुगतान के लिए कौन से संग्राहक पात्र होंगे, इसका निर्धारण भी कलेक्टर द्वारा किया जाता है..हाट बाजार या अन्य स्थानों पर शिविर का आयोजन कर संबंधित संग्राहकों के तेंदूपत्ता संग्रहण कार्ड में प्रविष्टि कर नगद भुगतान किया जा सकता है.. नगद भुगतान के पहले पर्याप्त प्रचार-प्रसार किया गया और उससे संबंधित सभी कार्यों की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
इन शिविरों में उन तेंदूपत्ता संग्राहकों का आधार कार्ड भी बनाया गया जिनके पास अब तक आधार कार्ड नहीं था. इसके अलावा उनके बैंक खाते भी खुलवाए जाएंगे. एक मानक बोरे में तेंदूपत्ता की एक हज़ार गड्डियां होती हैं और हर गड्डी में 50 पत्ते होते हैं. तेंदूपत्ता संग्रहण के दौरान जिला प्रशासन भी प्रबंधन में शामिल रहता है. सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों के हितों का ध्यान रखते हुए उनके जीवन में उजियारा बिखेरने का काम किया है,जिसके लिये संग्राहक अपने मुखिया के प्रति दिल से आभार प्रकट कर रहे हैं।