नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के एक घटक चिकित्सा संस्थान यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के 53वें स्थापना दिवस समारोह और दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की। उनके साथ दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना भी मौजूद थे।
सभा को संबोधित करते हुए, श्री नड्डा ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों द्वारा समाज के लिए दिए जाने वाले महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला और उत्तीर्ण लोगों से अपने काम को करुणा, ईमानदारी और समर्पण के साथ करने का आग्रह किया। उन्होंने भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई कि चिकित्सा सेवाएं सभी के लिए सुलभ हों। छात्रों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “आपके प्रयास ‘विकसित भारत ‘ के हमारे राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आकार देने पर केंद्रित होने चाहिए।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ‘बुनियादी शिक्षा हर किसी का जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन व्यावसायिक शिक्षा एक विशेषाधिकार है जो समाज केवल कुछ लोगों को ही प्रदान करता है।’ इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि सरकार प्रत्येक एमबीबीएस छात्र पर 30-35 लाख रुपये खर्च करती है, उन्होंने नए डॉक्टरों से आग्रह किया कि वे अपने पेशेवर करियर की शुरुआत करते समय अधिक जिम्मेदारियां निभाएं।
श्री नड्डा ने वर्ष 2017 में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में किए गए बदलावों के बारे में भी जानकारी दी, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवा को केवल उपचारात्मक दृष्टिकोण से देखने के बजाय समग्र दृष्टिकोण से देखा जाता है, जो निवारक, एकीकृत और उपचारात्मक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हाल ही में हासिल की गई उपलब्धियों पर भी जोर दिया, जिसमें 22 एम्स, नए मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना, एमबीबीएस और एमडी सीटों में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले पांच वर्षों में 75,000 मेडिकल सीटें जोड़ने का वादा किया था और हम इसे पूरा करने जा रहे हैं।”
समारोह के दौरान 146 एमबीबीएस छात्रों, 145 एमडी/एमएस छात्रों, 17 बीएससी (एमटी) रेडियोलॉजी छात्रों और 4 एमएससी (आरएंडएमआईटी) छात्रों को डिग्री प्रदान की गई तथा 62 पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी (एमएलटी) में 4 प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। श्री नड्डा ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों के लिए मेधावी छात्रों को पुरस्कार भी वितरित किए।
नए डॉक्टरों को बधाई देते हुए, श्री विनय कुमार सक्सेना ने उनके भविष्य के प्रयासों के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि सक्षम और दयालु स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को विकसित करने के लिए यूसीएमएस की अटूट प्रतिबद्धता सराहनीय है और देश की मौजूदा जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “यह दीक्षांत समारोह यूसीएमएस की अथक विरासत की मान्यता है।”
इस आयोजन के उपलक्ष्य में एक विशेष स्मारिका भी जारी की गई, जिसमें पिछले वर्ष यूसीएमएस की शैक्षणिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
दीक्षांत समारोह स्नातकों, संकाय सदस्यों और परिवार के सदस्यों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण था, क्योंकि नए चिकित्सा पेशेवर भारत के अग्रणी चिकित्सा संस्थानों में से एक से प्राप्त ज्ञान और कौशल से लैस होकर अपने करियर की शुरुआत करने के लिए तैयार हो रहे हैं।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रोफेसर बलराम पाणि, यूसीएमएस के शासी निकाय के अध्यक्ष और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) महेश वर्मा, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के सचिव और उप महानिदेशक (चिकित्सा शिक्षा) प्रोफेसर बी श्रीनिवास, दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के रजिस्ट्रार और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. गिरीश त्यागी, यूसीएमएस की प्रिंसिपल डॉ. अमिता सुनेजा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।