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हरियाणा में भाजपा की हैट्रिक,भाजपा 48, कांग्रेस 36 सीटों पर, कांग्रेस का चुनाव आयोग पर आरोप

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नई दिल्ली। अटकलें, अनुमान, पार्टी में मुख्यमंत्री की दावेदारी को लेकर मचे घमासान के बीच हरियाणा में कांग्रेस को सत्ता के लिए अब पांच साल और इंतजार करना पड़ेगा। अभी तक के रूझानों से साफ लग रहा है कि हरियाणा में बीजेपी आ रही है। जबकि कांग्रेस चुनाव आयोग वाला गाना दोहरा रही है। लेकिन इन सब के बीच एग्जिट पोल फिर से फेल साबित होते दिखे। परिणामों ने एग्जिट पोल को ही एग्जिट कर दिया। है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जा रही है. सुबह साढ़े 10 बजे तक के रुझानों के मुताबिक, कांग्रेस को झटका लग सकता है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 10 बजकर 30 मिनट पर देखा गया कि बीजेपी 48 सीटों पर आगे है. कांग्रेस 34 सीटों पर आगे है, आईएनएलडी एक और बीएसपी एक सीट पर आगे है. वहीं पांच सीटों पर निर्दलीय आगे है.
हरियाणा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है. रुझानों के बीच रोहतक में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. ट्रेंड के हिसाब से कांग्रेस का बहुमत है. उन्होंने चुनाव में गठबंधन पर कहा कि कांग्रेस अपनी मेजोरिटी खुद ला रही है हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल 2014 में सरप्राइज देते हुए पहली बार के विधायक होते हुए सूबे के मुख्या बने थे। 2019 के चुनाव में उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा निकाली थी। हालांकि 2024 चुनाव से ठीक पहले सीएम पद पर नायाब सिंह सैनी की ताजपोशी हुई और खट्टर को केंद्र में बुला लिया गया। इसे एंटी इनकमबेंसी को पाटने की कवायद के तौर पर देखा गया। कमोबेश ऐसा ही प्रयोग बीजेपी की तरफ से उत्तराखंड और गुजरात में आजवाया जा चुका है।
हरियाणा में बीजेपी की सफलता नरेंद्र मोदी के चेहर और डबल इंजन के नाम पर हुई या नायाब सिंह सैनी के काम पर हुई ये समीक्षा का विषय हो सकती है। हालांकि इतने छोटे कार्यकाल के दौरान उनके पास खास करने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन अगर आप हरियाणा के चुनावी बैनर और पोस्टर पर नजर डालें तो उनमें मोदी से ज्यादा सैनी की तस्वीर ज्यादा नजर आ रही थी। 2014 से पहले बीजेपी हरियाणा में बहुत बड़ी पार्टी नहीं हुआ करती थी। लेकिन नरेंद्र मोदी के राष्ट्रपति राजनीति में आगमन के साथ ही बीजेपी का भी प्रदेश में प्रभाव बड़ता चला गया। 1998 के बाद लगातार चार चुनावों में बीजेपी का नेशनल लेवल पर पसेंटेज गिरता रहा। वही 2009 में आकर ये 18 प्रतिशत हो गया। फिर अचानक नरेंद्र मोदी आते हैं उसे पहले खींचकर 31 प्रतिशत तक ले जाते हैं। 2019 में ये 37 प्रतिशत हो जाता है। उसका असर हरियाणा में भी देखने को मिला।